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नेपोटिज्म पर बोलीं शर्मिला टैगोर, 'हर पेशे में बच्चों का माता-पिता से प्रभावित होना सामान्य, इसमें कुछ गलत नहीं'

मुंबई, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर पिछले कई सालों से बहस चलती आ रही है। हर बार जब कोई स्टार किड फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखता है, तो लोग इसे लेकर अपनी राय साझा करते हैं। इस कड़ी में वरिष्ठ और अनुभवी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने अपने विचार साझा किए और नेपोटिज्म और विरासत के बीच के अंतर को समझाया।
नेपोटिज्म पर बोलीं शर्मिला टैगोर, 'हर पेशे में बच्चों का माता-पिता से प्रभावित होना सामान्य, इसमें कुछ गलत नहीं'

मुंबई, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर पिछले कई सालों से बहस चलती आ रही है। हर बार जब कोई स्टार किड फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखता है, तो लोग इसे लेकर अपनी राय साझा करते हैं। इस कड़ी में वरिष्ठ और अनुभवी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने अपने विचार साझा किए और नेपोटिज्म और विरासत के बीच के अंतर को समझाया।

सोहा अली खान के पॉडकास्ट 'ऑल अबाउट हर' में बात करते हुए शर्मिला टैगोर ने कहा, ''बच्चा अपने माता-पिता के काम से प्रभावित होता है, यह पूरी तरह से स्वाभाविक है। बच्चों का प्रेरित होना सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है। डॉक्टर, वकील, पेंटर, संगीतकार, हर पेशे में बच्चे अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं और उनकी तरह बनना चाहते हैं। यह एक सामान्य बात है और इसमें कुछ गलत नहीं है।''

शर्मिला ने कहा, ''बच्चों पर माता-पिता का प्रभाव होना बिल्कुल प्राकृतिक है और यह किसी भी पेशे के लिए सामान्य है। सोहा की बेटी इनाया अपनी मां को काम करते हुए देखकर प्रभावित हो रही हैं। अगर सोहा पॉडकास्ट करती हैं, तो इनाया उसमें रुचि दिखा रही हैं और धीरे-धीरे उसे समझने लगी हैं।''

शर्मिला ने कहा, ''अगर कोई माता-पिता या स्टार बहुत प्रभावशाली हैं, तो वह अपने बच्चे को पहला काम दिला सकते हैं। लेकिन इसके बाद, इंडस्ट्री में यह पूरी तरह दर्शकों पर निर्भर करता है कि वे उस कलाकार को पसंद करते हैं या नहीं। पहला मौका मिलना आसान हो सकता है, लेकिन आगे की सफलता दर्शकों की पसंद और कलाकार की मेहनत पर निर्भर करती है।''

उन्होंने कहा, ''अगर माता-पिता का प्रभाव बहुत ज्यादा है, तो शायद वह अपने बच्चे को दूसरा मौका भी दिला दें। लेकिन उनका प्रभाव यहीं तक ही सीमित होता है।''

शर्मिला ने आगे कहा, ''फिल्म निर्माता भी बड़े पैमाने पर निवेश करते हैं। अगर किसी अभिनेता या स्टारकिड का नाम पहले से जाना-पहचाना है, तो यह प्रोड्यूसर के लिए थोड़ी सुरक्षा की तरह काम करता है। अगर आप इसे नेपोटिज्म कहते हैं, तो हो सकता है प्रोड्यूसर को इसमें ज्यादा फायदा हो, क्योंकि पहले से जाने-पहचाने नामों में एडवरटाइजिंग पर ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। यह सिर्फ शुरुआती मदद है, लेकिन उसके बाद कलाकार की मेहनत और दर्शकों की पसंद ही तय करती है कि वह आगे बढ़ेगा या नहीं।''

उन्होंने कहा, ''किसी भी स्टारकिड को केवल नाम की वजह से लगातार सफलता मिलना असंभव है। असली परीक्षा यही है कि वह अपने काम और प्रतिभा से दर्शकों को प्रभावित कर पाए।''

--आईएएनएस

पीके/एबीएम

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