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यादों में नलिनी : ब्यूटी में मधुबाला को पछाड़ा, फिल्मों में सुपरस्टार, तीन दिन बाद चला मौत का पता

मुंबई, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा में कुछ नाम ऐसे हैं, जिनकी चमक समय के साथ फीकी नहीं पड़ती। 40 और 50 के दशक की जानी-मानी अभिनेत्री नलिनी जयवंत भी उन्हीं नामों में शामिल हैं। एक ऐसा दौर था जब उनकी मुस्कान, अदाएं और सादगी ने लाखों दिलों को अपना दीवाना बना लिया था। उस समय उनकी खूबसूरती की तुलना मधुबाला जैसी महान अभिनेत्री से की जाती थी।
यादों में नलिनी : ब्यूटी में मधुबाला को पछाड़ा, फिल्मों में सुपरस्टार, तीन दिन बाद चला मौत का पता

मुंबई, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा में कुछ नाम ऐसे हैं, जिनकी चमक समय के साथ फीकी नहीं पड़ती। 40 और 50 के दशक की जानी-मानी अभिनेत्री नलिनी जयवंत भी उन्हीं नामों में शामिल हैं। एक ऐसा दौर था जब उनकी मुस्कान, अदाएं और सादगी ने लाखों दिलों को अपना दीवाना बना लिया था। उस समय उनकी खूबसूरती की तुलना मधुबाला जैसी महान अभिनेत्री से की जाती थी।

यही नहीं, साल 1952 में जब एक लोकप्रिय फिल्म मैगजीन ने ब्यूटी पोल कराया, तो नलिनी जयवंत ने मधुबाला को पीछे छोड़ दिया। उस दौर में यह बात किसी चमत्कार से कम नहीं मानी गई थी।

नलिनी जयवंत का जन्म 18 फरवरी 1926 को मुंबई में हुआ था, जिसे तब बॉम्बे कहा जाता था। वह एक मराठी परिवार से थीं। उनके पिता कस्टम ऑफिसर थे और फिल्मों से जुड़ी दुनिया को पसंद नहीं करते थे। इसके बावजूद, नलिनी का झुकाव बचपन से ही संगीत और नृत्य की ओर ज्यादा था। उन्होंने शास्त्रीय संगीत की ट्रेनिंग भी ली। उनका रिश्ता फिल्मी दुनिया से पहले से जुड़ा हुआ था। वह मशहूर अभिनेत्री शोभना समर्थ की चचेरी बहन थीं, जो अभिनेत्री तनुजा की मां थीं। तनुजा काजोल की मां हैं। इस तरह वह काजोल के परिवार का हिस्सा भी थीं।

नलिनी ने बहुत कम उम्र में फिल्मों में कदम रखा। साल 1941 में महबूब खान की फिल्म 'बहन' से उन्होंने बतौर अभिनेत्री अपनी पहचान बनाई। उस समय वह उम्र में छोटी थीं, लेकिन कैमरे के सामने उनका आत्मविश्वास देखते ही बनता था। फिल्मों में उनका अभिनय देख दर्शकों ने मान लिया था कि नलिनी सिर्फ खूबसूरत ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन अदाकारा भी हैं। धीरे-धीरे उनका नाम इंडस्ट्री में फैलने लगा।

1950 का दशक नलिनी जयवंत के करियर का सबसे चमकदार दौर रहा। अशोक कुमार के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। 'समाधि' और 'संग्राम' जैसी फिल्मों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। साल 1950 में निर्देशक ज्ञान मुखर्जी की फिल्म 'संग्राम' में उन्होंने अपनी बोल्ड इमेज से खूब सनसनी मचाई थी। उस दौर में उनकी खूबसूरती इतनी मशहूर हो गई कि फिल्मफेयर मैगजीन के ब्यूटी पोल में उन्हें देश की सबसे सुंदर अभिनेत्री चुना गया।

पोल में मधुबाला जैसी बड़ी स्टार को पीछे छोड़ना इस बात का सबूत था कि नलिनी जयवंत उस समय दर्शकों के दिलों पर राज कर रही थीं।

इसके बाद नलिनी ने 'जलपरी', 'सलोनी', 'काफिला', 'नाज', 'लकीरें', 'नौ बहार', 'शेरू' और 'मिस्टर एक्स' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया। वह सिर्फ अभिनय ही नहीं करती थीं, बल्कि कई फिल्मों में उन्होंने गाने भी खुद गाए।

हालांकि समय के साथ फिल्म इंडस्ट्री बदलने लगी और 60 के दशक के बाद नलिनी को पहले जैसे रोल मिलने बंद हो गए। साल 1965 में फिल्म 'बॉम्बे रेस कोर्स' के बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली। करीब 18 साल बाद वह फिल्म 'नास्तिक' में नजर आईं, जहां उन्होंने अमिताभ बच्चन की मां का किरदार निभाया। इसके बाद उन्होंने पूरी तरह अभिनय से संन्यास ले लिया।

नलिनी जयवंत की निजी जिंदगी भी आसान नहीं रही। उन्होंने दो शादियां कीं, लेकिन उन्हें संतान का सुख नहीं मिला। पहली शादी साल 1945 में निर्देशक वीरेंद्र देसाई से हुई, जो कुछ साल बाद टूट गई। उसके बाद उन्होंने दूसरी शादी 1960 में अभिनेता प्रभु दयाल से की।

दूसरे पति प्रभु दयाल के निधन के बाद वह पूरी तरह अकेली हो गईं। 22 दिसंबर 2010 को 84 साल की उम्र में नलिनी जयवंत का निधन हो गया। उनकी मौत का पता तीन दिन बाद चला।

--आईएएनएस

पीके/एबीएम

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