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जिसके नाम में ही हुमायूं हो उससे क्या उम्मीद: एसपी सिंह बघेल

नोएडा, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इसी बीच, केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कबीर के नाम पर ही तंज कसते हुए कहा, "जब कोई हुमायूं हो, यानी बाबर का बेटा, तो उससे क्या उम्मीद रखी जा सकती है? लेकिन किसी भी राष्ट्रवादी को बाबर के नाम से मस्जिद का निर्माण स्वीकार नहीं है।"
जिसके नाम में ही हुमायूं हो उससे क्या उम्मीद: एसपी सिंह बघेल

नोएडा, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इसी बीच, केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कबीर के नाम पर ही तंज कसते हुए कहा, "जब कोई हुमायूं हो, यानी बाबर का बेटा, तो उससे क्या उम्मीद रखी जा सकती है? लेकिन किसी भी राष्ट्रवादी को बाबर के नाम से मस्जिद का निर्माण स्वीकार नहीं है।"

बघेल का मानना है कि बाबर का व्यक्तित्व अच्छा नहीं था और वो न ही प्रो-इंडिया था। उन्होंने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि 1526 की पानीपत की लड़ाई में बाबर ने जीत हासिल की, लेकिन 1527 की खानवा की लड़ाई, जिसमें बाबर और राणा सांगा आमने-सामने आए, उसमें बड़ी संख्या में हिंदू सैनिक मारे गए और राणा सांगा भी गंभीर रूप से घायल हुए। बघेल के अनुसार यह इतिहास किसी भी राष्ट्रवादी को बाबर या बाबर के नाम से बनी किसी संरचना को स्वीकार नहीं करने देगा।

इसके बाद उन्होंने हुमायूं कबीर पर निशाना साधते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद जैसी संरचना बनाने की घोषणा करके कबीर ने सनातन धर्म के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। उनके मुताबिक बाबर का राम जन्मभूमि पर मस्जिद बनवाना खुद एक गलत काम था और उसके नाम पर नई मस्जिद बनाने की कोशिश किसी भी राष्ट्रवादी को स्वीकार नहीं होगी।

बघेल का कहना है कि शायद कबीर को अंदाजा नहीं है कि उनकी घोषणा से देशभर में लाखों लोगों की धार्मिक भावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने साफ कहा कि अगर कबीर ऐसा निर्माण करना चाहते हैं, तो यह पूरी तरह राज्य सरकार का विषय है और राज्य सरकार को उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

टीएमसी पहले ही कबीर को निलंबित कर चुकी है, लेकिन उनकी घोषणा और अब बघेल की टिप्पणी ने पूरे मुद्दे को और संवेदनशील बना दिया है। एक तरफ कबीर यह दावा कर चुके हैं कि वह मस्जिद बनाने के लिए जान देने को भी तैयार हैं, वहीं दूसरी तरफ राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर राजनीतिक बयानबाजी तेजी से बढ़ रही है।

--आईएएनएस

पीआईएम/डीएससी

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