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नाबालिग ने रोते हुए कोर्ट को बताया, चार महीने तक अंकल मेरे साथ करते रहे गंदा काम, बताने पर दी जान से मारने की धमकी

वॉशिंगटन डीसी – अमेरिका की इजराइल के प्रति नीति को लेकर विरोध के सुर अब अमेरिकी संसद तक पहुंच गए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को उस समय असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब सीनेट की एक अहम सुनवाई के दौरान दो प्रदर्शनकारियों ने गाजा-इजराइल संघर्ष को लेकर जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी प्रशासन द्वारा इजराइल को दिए जा रहे समर्थन पर सवाल उठाते हुए “नरसंहार बंद करो” जैसे नारे लगाए।  सीनेट की कार्यवाही में बाधा न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब विदेश मंत्री मार्को रुबियो सीनेट की विदेश संबंध विनियोग समिति के समक्ष 2026 के विदेश विभाग का बजट प्रस्ताव पेश कर रहे थे। तभी दो प्रदर्शनकारी अचानक उठ खड़े हुए और इजराइल के समर्थन में अमेरिकी नीति की आलोचना करने लगे। उन्होंने गाजा में हो रहे कथित नरसंहार को लेकर अमेरिका की चुप्पी पर तीखा विरोध जताया।  हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों प्रदर्शनकारियों को सीनेट कक्ष से बाहर निकाल दिया और कार्यवाही फिर से सुचारू रूप से शुरू हो सकी।  सीनेट भवन के बाहर भी हुआ प्रदर्शन गौरतलब है कि सीनेट में विरोध का यह दृश्य अचानक नहीं था। इससे पहले भी, जब रुबियो सीनेट भवन पहुंचे उससे पूर्व सीनेट समिति कार्यालय के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में CodePink नामक मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ता शामिल थे जिन्होंने हाथों में पोस्टर लेकर “नरसंहार बंद करो”, “इजराइल पर प्रतिबंध लगाओ” और “बच्चों को खाना दो” जैसे नारे लगाए।  सीनेट समिति के अध्यक्ष जिम रिश ने पहले ही कार्यवाही शुरू होने से पूर्व सख्त चेतावनी जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी प्रकार के व्यवधान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  गाजा संघर्ष में भारी मानवीय क्षति गाजा-इजराइल संघर्ष को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही भारी चिंता जताई जा रही है। समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इस संघर्ष में लगभग 53,500 फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें एक बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। यह आंकड़े युद्ध की भयावहता को दर्शाते हैं और यही कारण है कि अमेरिका की इजराइल के समर्थन वाली नीति पर वैश्विक स्तर पर आलोचना हो रही है।  नेतन्याहू पर अंतरराष्ट्रीय अरेस्ट वारंट संघर्ष की गंभीरता को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने नवंबर 2024 में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ युद्ध अपराधों के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। यह मामला अभी भी अंतरराष्ट्रीय अदालत में विचाराधीन है।  3 महीने बाद गाजा पहुंची राहत सामग्री इस बीच, राहत की एक बड़ी खबर भी सामने आई है। इजराइल द्वारा कई हफ्तों से की गई नाकेबंदी के कारण रोके गए संयुक्त राष्ट्र के सहायता ट्रक आखिरकार गाजा में प्रवेश कर चुके हैं। सोमवार को इजराइली कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उनके मंत्रियों ने गाजा में मानवीय सहायता भेजने पर सहमति जताई, जिसके बाद 93 राहत ट्रक गाजा में प्रवेश कर सके।  इस मानवीय पहल के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि यह बहुत देर से और बहुत कम है, क्योंकि गाजा के लाखों निवासियों को भुखमरी और बीमारी का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।  निष्कर्ष मार्को रुबियो की सीनेट में पेशी के दौरान हुआ विरोध प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि अब अमेरिका के भीतर भी इजराइल के समर्थन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जहां एक ओर गाजा में बढ़ती मानवीय त्रासदी पर दुनिया चिंतित है, वहीं अमेरिका की विदेश नीति पर नागरिकों और संगठनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। आने वाले समय में यह मुद्दा अमेरिकी घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों दोनों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।

क्राइम न्यूज डेस्क !!! दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने एक सनसनीखेज मामले में फैसला सुनाया है. ये मामला बेहद गंभीर है और संगीन भी. रिश्ते में धोखे का ये मामला जिसने भी सुना वो हैरान रह गया. यहां कोर्ट ने एक शख्स को अपनी ही 17 साल की भतीजी से बार-बार रेप करने का दोषी ठहराया है।

अपहरण और यौन शोषण का दोषी ठहराया गया

ये घटना साल 2017 की है. खुलासा ये है कि साल 2017 में आरोपी शख्स अपनी नाबालिग भतीजी को बहला-फुसलाकर उसके घर से उत्तर प्रदेश के एक कस्बे में ले गया और अगले चार महीने तक उसके साथ रेप करता रहा. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर की अदालत ने कहा कि पीड़िता की गवाही से आरोप साबित होते हैं।

नाबालिग ने कोर्ट में बताई सच्चाई

कोर्ट ने कहा कि लड़की ने अपनी गवाही में सबकुछ साफ-साफ बताया, जिससे आरोपी का अपराध साबित करना आसान हो गया. लड़की की गवाही पूरी तरह विश्वसनीय थी और उसने कोर्ट में सब कुछ खुलकर बताया. लड़की ने कोर्ट को बताया कि रिश्ते में उसके चाचा उसे उत्तर प्रदेश के एक कस्बे में ले गए और वहां काम सिखाया।

चार माह तक मनमाने ढंग से काम करते रहे

इसके बाद चार महीने तक वह उस पर सेक्स के लिए दबाव बनाता रहा। अदालत ने आरोपी को अपहरण के बाद बलात्कार के प्रावधानों के साथ POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया। अब विवेचना के बाद अपराधी को सजा दिलाई जाएगी।

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