#MeToo: मानहानि मामले में एमजे अकबर की याचिका खारिज, अदालत ने प्रिया रमानी को किया बरी
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दिल्ली की अदालत ने बुधवार को पूर्व मंत्री और पत्रकार एम जे अकबर द्वारा दर्ज कीये मानहानि के केस में प्रिया रमणी को बारी कर दिया। गौरतलब है ये वहीँ प्रिया रमणी है जिन्हीने मी टू कैंपेन के तहत अकबर पर ये आरोप लगाया था की उन्होंने प्रिया का यौन उत्पीड़न किया था। जिसको लेकर अकबर ने फिर प्रिया के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था।
अतिरिक्त जज मेट्रोपोलिटन मेजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद एक फरवरी को अपना फैसला १० फरवरी के लिए सुरलषित रखा था। हालाँकि बाद में कोर्ट ने १० फरवरी को ये कहते हुए अपना निर्णय ताल दिया था की चूँकि दोनों ही पक्ष के तरफ से लिखित में दलीले देरी से सौंपि गयी थी इसलिए फैसले को पूरी तरह लिखकर देना संभव नहीं है।
फैसले के दौरान जज ने कई महत्वपूर्ण बाते कही
- हमारे समाज को ये बात समझने में वक्त लगता है की कभी कभी पीड़ित व्यक्ति मानसिक आघात के कारण लम्बे समय तक नहीं बोल पाता। यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए महिला को सजा नहीं दी जा सकती
- महिलाये अक्सर कर सामाजिक दबाव के चलते शिकायत नहीं कर पाती ,समाज को ऐसे में यौन शोषण और उत्पीड़न के प्रभाव कपो समझना चाहिए
- अच्छे सोशल स्टेटस वाले व्यक्ति भी यौन शोषण कर सकते है
- यौन शोषण व्यक्ति की गरिमा और आत्मविश्वास को कम कर देता है
- एक महिला दशकों बाद भी अपनी शिकायत किसी भी मंच पर रख सकती है, ये उसका अधिकार है। मानहानि का हवाला देकर किसी को शिकायत करने से रोका नहीं जा सकता ना ही उसे दण्डित किया जा सकता है।