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शादीशुदा गर्लफ्रेंड की ट्रेन से कटकर मौत, बॉयफ्रेंड के पास नहीं थे अंतिम संस्कार के पैसे, मायके वालों ने भी झाड़ा पल्ला, फिर…

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उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया है, वहीं पुलिस ने जिस संवेदनशीलता और मानवीयता का परिचय दिया है, वह लोगों के दिलों को छू रहा है। यहां एक शादीशुदा महिला की ट्रेन से कटकर मौत हो गई, लेकिन उसकी अंत्येष्टि को लेकर ऐसा दृश्य सामने आया जिसने इंसानियत और रिश्तों के मायने बदल दिए।

जानकारी के मुताबिक, मृतक महिला का विवाह उन्नाव जनपद में हुआ था। शादी के कई सालों बाद वह अपने पति को छोड़कर मोहनलालगंज की गौरा कॉलोनी में अपने प्रेमी के साथ रहने लगी थी। महिला का यह कदम उसके ससुराल और मायके दोनों को नागवार गुजरा और दोनों ही पक्षों ने उससे सारे रिश्ते-नाते तोड़ लिए।

मंगलवार की रात महिला की ट्रेन से कटकर दर्दनाक मौत हो गई। पुलिस मौके पर पहुंची और शव की पहचान की। इसके बाद महिला के प्रेमी को घटना की जानकारी दी गई, लेकिन प्रेमी ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए अंतिम संस्कार करने से साफ इनकार कर दिया।

पुलिस ने जब महिला के मायके सिकंदरपुर में संपर्क किया तो वहां से भी मदद नहीं मिली। मायकेवालों ने भी अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया। ऐसे हालात में पुलिस के सामने यह सवाल खड़ा हो गया कि उस महिला का अंतिम संस्कार कौन करेगा?

इस संवेदनशील मामले की जानकारी मिलते ही एसीपी मोहनलालगंज रजनीश वर्मा ने तत्परता दिखाई और इंसानियत का परिचय देते हुए अपने पुलिसकर्मियों को मदद के लिए आगे किया। दरोगा सौरभ और उनकी टीम ने मिलकर महिला के अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी उठाई।

एसीपी ने खुद रुपये देकर आवश्यक इंतजाम करवाए और पुलिस टीम ने शव को कांधा देकर पूरे हिंदू रीति-रिवाजों के साथ अंत्येष्टि करवाई। जिस महिला को उसके परिवार ने छोड़ दिया, उसके अंतिम सफर में पुलिस ने उसे वह सम्मान दिया जो अपनों को मिलना चाहिए।

यह घटना अब पूरे मोहनलालगंज और आसपास के इलाके में चर्चा का विषय बन चुकी है। लोगों के बीच यूपी पुलिस की इस मानवीय पहल की सराहना हो रही है। जहां एक तरफ समाज रिश्तों में स्वार्थ और बदनामी के डर से मुंह मोड़ लेता है, वहीं यूपी पुलिस ने न सिर्फ संवेदनशीलता दिखाई, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि इंसानियत से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं होता।

यह घटना सिर्फ एक महिला की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक आईना भी है — जिसमें पुलिस सेवा भाव और कर्तव्य से ऊपर उठकर एक इंसान के अंतिम संस्कार का जिम्मा निभाती है। मोहनलालगंज पुलिस की यह पहल निश्चित रूप से ‘खाकी’ को इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल बना देती है।

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