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महिलाओं से शादी बच्चों और शारीरिक ज़रूरतों के लिये, सीपीएम नेता सैयद अली मजीद की टिप्पणी से खड़ा हुआ विवाद 

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केरल में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में माकपा (सीपीएम) के नेता सैयद अली मजीद ने जीत हासिल कर पार्टी को अहम बढ़त दिलाई है। चुनाव परिणाम घोषित होते ही जहां उनके समर्थकों में उत्साह देखने को मिला, वहीं जीत के तुरंत बाद दिए गए एक बयान ने पूरे मामले को विवादों में घेर दिया। सैयद अली मजीद पर महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक और लैंगिक भेदभाव वाली टिप्पणी करने का आरोप लगा है, जिसके चलते राज्य की राजनीति में तीखी बहस शुरू हो गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव में जीत के बाद सैयद अली मजीद ने सार्वजनिक मंच से एक ऐसा बयान दिया, जिसे कई लोगों ने महिलाओं के प्रति अपमानजनक और असंवेदनशील बताया। इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो सामने आते ही विपक्षी दलों ने सीपीएम पर हमला बोल दिया और इसे महिलाओं के सम्मान से जुड़ा गंभीर मामला बताया।

कांग्रेस और भाजपा ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों को अपनी भाषा और सोच में मर्यादा रखनी चाहिए। विपक्ष का कहना है कि जो नेता जनता द्वारा चुने जाते हैं, उन्हें समाज के हर वर्ग के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाना चाहिए। इस तरह की टिप्पणियां न केवल महिलाओं का अपमान करती हैं, बल्कि समाज में गलत संदेश भी देती हैं।

विवाद बढ़ने के साथ ही महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी प्रतिक्रिया दी। कई महिला संगठनों ने सैयद अली मजीद के बयान को महिला विरोधी करार देते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले नेताओं की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, क्योंकि उनके शब्दों का असर समाज पर गहरा पड़ता है।

मामले के तूल पकड़ने के बाद सैयद अली मजीद ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है और उनका उद्देश्य किसी भी महिला का अपमान करना नहीं था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि उनके शब्दों से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो उन्हें इसका खेद है। हालांकि, उनकी इस सफाई को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए और कहा कि माफी के साथ-साथ जवाबदेही भी जरूरी है।

सीपीएम की ओर से भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया सामने आई है। पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी महिलाओं की समानता और सम्मान के सिद्धांतों में विश्वास रखती है। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया कि किसी नेता का व्यक्तिगत बयान पार्टी की आधिकारिक नीति का प्रतिनिधित्व नहीं करता। पार्टी स्तर पर मामले की समीक्षा किए जाने की बात भी कही गई है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विवाद सीपीएम के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, खासकर तब जब पार्टी खुद को प्रगतिशील और सामाजिक न्याय की पक्षधर बताती रही है। स्थानीय निकाय चुनाव में मिली जीत जहां पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही थी, वहीं यह बयान उस सफलता पर सवाल खड़े कर रहा है।

फिलहाल, यह मामला केरल की राजनीति में चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि पार्टी नेतृत्व और प्रशासन इस विवाद पर क्या कदम उठाते हैं और आगे क्या कार्रवाई होती है।

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