महाराष्ट्र: नगर निगम चुनावों की घोषणा पर शिवसेना (यूबीटी) ने जताई आपत्ति, आयोग को लिखा पत्र
मुंबई, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को एक कड़ा पत्र लिखते हुए नगर निगम चुनावों की जल्दबाजी में घोषणा किए जाने पर गंभीर आपत्ति जताई है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित किए बिना चुनाव की घोषणा करना न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और मतदाताओं के अधिकारों पर भी सीधा प्रहार है।
शिवसेना (यूबीटी) ने अपने पत्र में कहा है कि राज्य चुनाव आयोग ने पहले यह आश्वासन दिया था कि नगर निगम चुनावों से पहले अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इसी क्रम में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने भी अखबारों में विज्ञापन देकर अंतिम मतदाता सूची उपलब्ध कराने की बात कही थी। हालांकि, पार्टी का आरोप है कि तय समय बीत जाने के बावजूद शाम 3:30 बजे तक न तो चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर अंतिम मतदाता सूची उपलब्ध कराई गई और न ही बीएमसी मुख्यालय में इसकी कोई मुद्रित प्रति रखी गई।
पत्र में शिवसेना (यूबीटी) ने यह भी दावा किया है कि एक ओर जहां मतदाता सूची की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है, वहीं दूसरी ओर विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि राज्य चुनाव आयोग जल्दबाजी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आज ही नगर निगम चुनावों की घोषणा करने की तैयारी में है। पार्टी ने इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कदम मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक उड़ाने जैसा है।
शिवसेना (यूबीटी) ने राज्य चुनाव आयोग से सीधे सवाल पूछते हुए कहा कि जब प्रशासनिक तैयारियां अधूरी हैं, तो चुनाव की घोषणा करने की इतनी जल्दी क्यों दिखाई जा रही है। पार्टी का कहना है कि अधूरी और त्रुटिपूर्ण तैयारियों के साथ चुनावों की घोषणा करना न केवल कानूनी रूप से गलत है, बल्कि नैतिक रूप से भी अनुचित है। इससे पूरी चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
पत्र के माध्यम से शिवसेना (यूबीटी) ने पुरजोर मांग की है कि जब तक बृहन्मुंबई नगर निगम सहित राज्य के सभी नगर निगमों की अंतिम मतदाता सूचियां सार्वजनिक नहीं कर दी जातीं और उनमें मौजूद सभी त्रुटियों को ठीक नहीं कर लिया जाता, तब तक किसी भी प्रकार की चुनावी घोषणा नहीं की जानी चाहिए। पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य चुनाव आयोग को अपनी निष्पक्षता और पारदर्शिता साबित करनी चाहिए तथा पहले से घोषित कार्यक्रम के अनुसार ही आगे की प्रक्रिया को लागू करना चाहिए।
--आईएएनएस
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