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कोपिनेश्वर मंदिर : ठाणे में मौजूद भगवान शिव लाएंगे प्रलय, जुड़ा है बड़ा रहस्य

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत के कोने-कोने में भगवान शिव अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं और अपने हर रूप से भक्तों के कष्ट हरते हैं।
कोपिनेश्वर मंदिर : ठाणे में मौजूद भगवान शिव लाएंगे प्रलय, जुड़ा है बड़ा रहस्य

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत के कोने-कोने में भगवान शिव अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं और अपने हर रूप से भक्तों के कष्ट हरते हैं।

महाराष्ट्र के ठाणे में भगवान शिव का ऐसा चमत्कारी मंदिर है, जो विश्व में प्रलय ला सकता है। माना जाता है कि महाराष्ट्र के ठाणे में विराजमान शिवलिंग भविष्य में आने वाली प्रलय का संकेत देता है।

मुंबई के ठाणे की संकरी स्टेशन रोड के पास कोपिनेश्वर मंदिर है। इस मंदिर को ठाणे के रक्षक के तौर पर देखा जाता है। माना जाता है कि शिवलिंग पूरे ठाणे को घटनाओं और बीमारियों से बचाता है। मंदिर के गेट पर नंदी विराजमान हैं। मुख्य मंदिर में एक शिवलिंग है, जिसका व्यास लगभग पांच फीट है और इसकी ऊंचाई भी पांच फीट है।

ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग हर साल ऊंचाई में बढ़ता है और कहा जाता है कि जिस दिन यह मंदिर की छत को छू लेगा, उस दिन प्रलय आ जाएगी। महाराष्ट्र के सभी शिव मंदिरों में कोपिनेश्वर महादेव सबसे बड़ा और विशाल है।

मंदिर का निर्माण 810-1240 ईस्वी के दौरान सिलहारा वंश के शासकों ने कराया था। कहा जाता है कि सिलहारा वंश के शासकों में भगवान शिव को लेकर अपूर्व भक्ति थी। अपनी भक्ति को शाश्वत करने के लिए उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया।

17वीं शताब्दी में मराठा पेशवाओं के अधीन एक महत्वपूर्ण सैन्य और प्रशासनिक अधिकारी रहे सूबेदार रामजी महादेव बिवलकर ने मंदिर के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया। उस समय दुश्मनों से युद्ध के समय सैन्य अधिकारी भगवान शिव का ही आशीर्वाद लेते थे।

मंदिर की वास्तुकला भी खास है। इसका निर्माण काले पत्थर से किया गया है और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को अंकित किया गया है। काले पत्थर के बाद भी नक्काशी चमचमाती और साफ दिखती है। मंदिर पर हेमाडपंथी शैली की झलक देखने को मिलती है। परिसर में भगवान शिव के अलावा अन्य देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर भी हैं, जो इसे एक जीवंत आध्यात्मिक केंद्र बनाते हैं।

महाशिवरात्रि और सावन में मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो अपने कष्टों के निवारण के लिए विशाल शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। सावन के महीने में मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं।

--आईएएनएस

पीएस/एबीएम

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