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केजरीवाल मॉडल को 2022 में एलजी ने किया ठप, अब भाजपा कर रही नकल: सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर घमासान छिड़ गया है। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने भाजपा सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर जुबानी हमला किया।
केजरीवाल मॉडल को 2022 में एलजी ने किया ठप, अब भाजपा कर रही नकल: सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर घमासान छिड़ गया है। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने भाजपा सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर जुबानी हमला किया।

सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा शुरू किए गए जिन सुधारों को भाजपा के एलजी ने रोक दिया था, अब उन्हीं को भाजपा सरकार फिर से लागू कर रही है। ये राजनीति से प्रेरित कदम थे, जिनका सीधा नुकसान जनता को उठाना पड़ा। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए हॉस्पिटल मैनेजर सिस्टम लागू किया था, जिससे डॉक्टरों का बोझ कम हुआ था और अस्पतालों में सेवाएं बेहतर हुई थीं। लेकिन, 2022 में उपराज्यपाल पद संभालने के बाद वीके सक्सेना ने बिना किसी नोटिस के इस व्यवस्था को खत्म कर दिया, यहां तक कि हॉस्पिटल मैनेजरों का वेतन तक रोक दिया गया।

भारद्वाज ने आरोप लगाया कि एलजी के इस निर्णय से दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था लगभग तीन साल तक प्रभावित रही और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या तीन साल तक जनता को परेशानी में डालने और अस्पताल प्रशासन को नुकसान पहुंचाने के लिए एलजी या स्वास्थ्य सचिवों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?

उन्होंने कहा कि उस समय के स्वास्थ्य सचिव, चाहे वे एसबी दीपक कुमार हों या उनसे पहले के अधिकारी, ने एलजी के निर्देशों पर अस्पतालों में पहले से चल रही कुशल व्यवस्था को जानबूझकर बंद कराया। उन्होंने कहा कि सरकार के अच्छे काम को केवल अरविंद केजरीवाल को बदनाम करने के लिए रोका गया था। यह आज की तथाकथित चाणक्य नीति है: लोगों को परेशान करो, सरकारों के काम रोको, उन्हें बदनाम करो और फिर अपने आपको सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त बताओ।

उन्होंने कहा कि 2018 में केजरीवाल सरकार ने अस्पताल प्रबंधन को मजबूत करने के लिए लगभग 90 हॉस्पिटल मैनेजरों की नियुक्ति की योजना बनाई थी, जिनमें से 54 लोगों को भर्ती किया गया। इन मैनेजरों ने 2018 से 2022 तक डॉक्टरों और वरिष्ठ अधिकारियों का प्रशासनिक बोझ कम किया था और अस्पतालों को पेशेवर तरीके से संचालित करने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन, 2022 के बाद एलजी के हस्तक्षेप से यह व्यवस्था ठप हो गई। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए कई बार एलजी को पत्र लिखकर इस व्यवस्था को बहाल करने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब 2025 में भाजपा सरकार द्वारा हॉस्पिटल मैनेजर सिस्टम को दोबारा लागू किया जाना इस बात का प्रमाण है कि केजरीवाल मॉडल प्रभावी था और उसकी नकल की जा रही है।

उन्होंने आगे कहा कि तीन साल तक जनता को परेशान करने के बाद अब वही मॉडल वापस लाया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या जनता को हुए नुकसान की जिम्मेदारी तय होगी? दुर्भाग्य से आज के दौर में यह संभव नहीं दिखता।

--आईएएनएस

पीकेटी/पीएसके

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