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केजरीवाल का दिल्ली शिक्षा मॉडल भविष्य संवारने की नीति नहीं, आंकड़ों को चमकाने की रणनीति थी: आशीष सूद

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को पूर्व की केजरीवाल सरकार की 'शिक्षा क्रांति' पर गंभीर सवाल खड़े किए। राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में कोई शिक्षा सुधार नहीं हुआ था। एक 'फिल्टरिंग पॉलिसी' थी, जिसका उद्देश्य बच्चों के भविष्य को संवारना नहीं, बल्कि आंकड़ों को चमकाना था।
केजरीवाल का दिल्ली शिक्षा मॉडल भविष्य संवारने की नीति नहीं, आंकड़ों को चमकाने की रणनीति थी: आशीष सूद

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को पूर्व की केजरीवाल सरकार की 'शिक्षा क्रांति' पर गंभीर सवाल खड़े किए। राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में कोई शिक्षा सुधार नहीं हुआ था। एक 'फिल्टरिंग पॉलिसी' थी, जिसका उद्देश्य बच्चों के भविष्य को संवारना नहीं, बल्कि आंकड़ों को चमकाना था।

आशीष सूद ने कहा कि अब दिल्ली की जनता के सामने पिछली 'आप' सरकार की शिक्षा नीति की सच्चाई पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है। यह खुलासा किसी भाजपा नेता ने नहीं, बल्कि खुद स्वाति मालीवाल ने संसद में सवाल उठाकर किया।

स्वाति मालीवाल ने पूछा था कि क्या कक्षा 9 में फेल होने वाले छात्रों को बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) में भेजना वास्तव में उन्हें दूसरा मौका देने के लिए था या फिर स्कूलों के नतीजों को बेहतर दिखाने की कोशिश?

राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए लिखित उत्तर के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 में 3 लाख 20 हजार 150 छात्र फेल हुए हैं। साल-दर-साल आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं।

वर्ष 2020–21 में 31,541 छात्र फेल हुए। 2021–22 में यह संख्या 28,548 रही। 2022–23 में यह संख्या बढ़कर अचानक 88,421 हो गई। वहीं 2023–24 में 1,01,344 छात्र कक्षा 9 में फेल हुए। 2024–25 में 70,296 छात्रों को असफल घोषित किया गया।

इसी अवधि में 71 हजार से अधिक छात्रों को एनआईओएस में दाखिला दिया गया, जिसमें केवल 2022–23 में ही 29,436 छात्रों का नामांकन हुआ।

दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि सैद्धांतिक रूप में एनआईओएस एक वैकल्पिक और सहायक व्यवस्था हो सकती है, लेकिन ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि इसका इस्तेमाल सहायता के लिए नहीं, बल्कि छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा से बाहर करने के लिए किया गया।

उन्होंने कहा कि स्वाति मालीवाल द्वारा उठाया गया सवाल पूरी तरह जायज है और दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में हुए इस प्रयोग की गहन समीक्षा की जरूरत है।

--आईएएनएस

वीकेयू/वीसी

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