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झारखंड में एनएच-33 चौड़ीकरण में पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट सख्त

रांची, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने एनएच-33 पर हजारीबाग-बरही सड़क चौड़ीकरण के दौरान पेड़ों की कटाई के मामले में स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कड़ा रुख अपनाया है।
झारखंड में एनएच-33 चौड़ीकरण में पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट सख्त

रांची, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने एनएच-33 पर हजारीबाग-बरही सड़क चौड़ीकरण के दौरान पेड़ों की कटाई के मामले में स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कड़ा रुख अपनाया है।

मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने व्यक्तिगत रूप से हाजिर हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से पूछा कि सड़कों के किनारे पेड़ लगाने में क्या आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित कराई गई है?

कोर्ट ने बीते पांच वर्षों में सड़क किनारे किए गए पौधारोपण पर खर्च और वास्तविक स्थिति को लेकर सवाल खड़े किए। एनएचएआई की ओर से अदालत को बताया गया कि इस अवधि में करीब 20 हजार पौधे लगाए गए हैं, जिस पर लगभग आठ करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है।

हालांकि अदालत के समक्ष पेश आंकड़ों पर याचिकाकर्ता पक्ष ने गंभीर आपत्ति जताई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता इंद्रजीत सामंता ने कहा कि एनएचएआई अपनी रिपोर्ट में उन पौधों को भी गिन रहा है, जो प्राकृतिक रूप से उग आए हैं।

उन्होंने दावा किया कि जमीनी हकीकत में पौधारोपण की स्थिति बेहद कमजोर है और लगाए गए अधिकांश पौधे संरक्षण के अभाव में नष्ट हो चुके हैं।

उनका कहना था कि पौधे लगाने के बाद उनके रखरखाव की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं की जाती। सुनवाई के दौरान यह पहलू भी सामने आया कि एनएचएआई की अपनी नीति में पौधों के संरक्षण में स्थानीय ग्रामीणों और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी का प्रावधान है, लेकिन इस नीति को व्यवहार में नहीं उतारा गया।

अदालत को बताया गया कि यदि महुआ और पीपल जैसी स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएं, तो ग्रामीण समुदाय स्वाभाविक रूप से उनकी देखभाल करेगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण को मजबूती मिलेगी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने एनएचएआई के रीजनल ऑफिसर को निर्देश दिया कि वे शपथ पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करें कि पौधों के संरक्षण में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 7 जनवरी 2026 तय की है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले अदालत ने एक पांच सदस्यीय समिति का गठन कर एनएच-33 के किनारे पौधारोपण की वास्तविक स्थिति, पौधों की प्रजाति और उनकी वर्तमान हालत का आकलन करने का निर्देश दिया था।

--आईएएनएस

एसएनसी/एमएस

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