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जापान में अपनी ही सरकार के खिलाफ 450 से ज्यादा लोगों ने मुकदमा ठोका, वजह 'क्लाइमेंट चेंज को लेकर ढुलमुल रवैया'

टोक्यो, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। जापान के सैकड़ों लोग अपनी सरकार से नाराज हैं। उन्हें अपनी तो चिंता है ही साथ ही आने वाली पीढ़ियों की भी। यही वजह है कि गुरुवार को लोगों ने सरकार को क्लाइमेट चेंज पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर कर दिया। स्थानीय मीडिया के अनुसार देश में इस तरह का ये पहला मामला है।
जापान में अपनी ही सरकार के खिलाफ 450 से ज्यादा लोगों ने मुकदमा ठोका, वजह 'क्लाइमेंट चेंज को लेकर ढुलमुल रवैया'

टोक्यो, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। जापान के सैकड़ों लोग अपनी सरकार से नाराज हैं। उन्हें अपनी तो चिंता है ही साथ ही आने वाली पीढ़ियों की भी। यही वजह है कि गुरुवार को लोगों ने सरकार को क्लाइमेट चेंज पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर कर दिया। स्थानीय मीडिया के अनुसार देश में इस तरह का ये पहला मामला है।

द जापान टाइम्स के अनुसार इस ऐतिहासिक मुकदमे में जापान की क्लाइमेट संकट के खिलाफ "बहुत ही अपर्याप्त" लड़ाई की आलोचना की गई है, जिसमें कहा गया है कि यह लगभग 450 वादियों के स्वास्थ्य और आजीविका को खतरे में डालता है।

ये लोग 1,000 येन (6 डॉलर) का हर्जाना मांग रहे हैं। उनका आरोप है कि दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जकों में से एक ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए काफी कुछ नहीं कर रहा है।

गुरुवार को टोक्यो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर मुकदमे में यह तर्क दिया गया है कि देश के क्लाइमेट लक्ष्य इतने बड़े नहीं हैं कि पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी को प्री-इंडस्ट्रियल लेवल से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की ग्लोबल प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जा सके।

क्लाइमेट जस्टिस लिटिगेशन ऑफिस (ग्रुप जिसने इस मामले को ऑर्गनाइज करने में मदद की) की शिकायत के सारांश के अनुसार, 2013 के लेवल से 2035 तक उत्सर्जन में 60 फीसदी की कटौती करने का जापान का वादा जरूरत के लिहाज से बहुत कम है और "हमारे जीवन को खतरे में डालता है।"

मुख्य कैबिनेट सचिव मिनोरू किहारा ने गुरुवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पूछे जाने पर मुकदमे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन पूरी मानवता के लिए एक जरूरी और आम चुनौती है। जहां तक जापान की बात है, हमने इस साल फरवरी में नए, बड़े ग्रीनहाउस गैस कटौती लक्ष्य पेश किए हैं जो पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के अनुरूप हैं। पूरी सरकार इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर सक्रिय रूप से काम कर रही है।"

इस साल, जापान में गर्मी 1898 के बाद सबसे ज्यादा गर्म रही। वादियों का तर्क है कि ऐसी लू से आर्थिक नुकसान होता है, फसलें बर्बाद होती हैं और कई लोगों को जानलेवा हीटस्ट्रोक का खतरा होता है।

पिछले साल, दक्षिण कोरियाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि देश के अधिकांश क्लाइमेट लक्ष्य असंवैधानिक थे। जर्मनी में भी, 2021 में क्लाइमेट लक्ष्यों को अपर्याप्त और असंवैधानिक घोषित किया गया था।

--आईएएनएस

केआर/

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