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जम्मू-कश्मीर : एनसी सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा अहम ज्ञापन

श्रीनगर, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के राज्यसभा सांसदों ने केंद्र सरकार से सीधे संवाद करते हुए गृह मंत्री अमित शाह को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर से जुड़े संवैधानिक, लोकतांत्रिक और मानवीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया है।
जम्मू-कश्मीर : एनसी सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा अहम ज्ञापन

श्रीनगर, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के राज्यसभा सांसदों ने केंद्र सरकार से सीधे संवाद करते हुए गृह मंत्री अमित शाह को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर से जुड़े संवैधानिक, लोकतांत्रिक और मानवीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया है।

यह ज्ञापन 15 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राज्यसभा सांसद चौधरी मोहम्मद रमजान, सज्जाद अहमद किचलू और गुरविंदर सिंह ओबरॉय की ओर से सौंपा गया। ज्ञापन में तीन मुख्य मांगें रखी गई हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर के कैदियों से जुड़े मानवीय सवाल, पूर्ण राज्य की बहाली और प्रशासनिक व्यापार नियम की अधिसूचना शामिल हैं।

ज्ञापन में सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के उन कैदियों का मुद्दा उठाया गया है, जिन्हें केंद्र शासित प्रदेश से बाहर दूरदराज की जेलों में रखा गया है। सांसदों ने कहा कि इससे हजारों परिवार (खासकर मां, बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता) गहरे दुख और परेशानी में जी रहे हैं। आर्थिक तंगी के कारण ये परिवार न तो लंबी दूरी की यात्रा कर पाते हैं, न ही वकील कर पाते हैं और न ही अपने परिजनों से मिल पाते हैं।

सांसदों ने बताया कि कई मामलों में माताएं सिर्फ आखिरी बार अपने बेटों को देखने की इच्छा लेकर जी रही हैं, जबकि बच्चे अपने पिता को केवल तस्वीरों में जानते हैं। कुछ कैदी ऐसे भी हैं, जिन पर गंभीर आरोप अब तक साबित नहीं हुए, फिर भी वे जेल में बंद हैं।

ज्ञापन में कहा गया है कि एक कश्मीरी जन्म से अपराधी या खतरा नहीं होता, बल्कि वह भी एक भारतीय नागरिक है, जिसे सम्मान, न्याय और करुणा मिलनी चाहिए। एनसी सांसदों ने मांग की कि जम्मू-कश्मीर के कैदियों को दूर की जेलों में रखने की नीति की समीक्षा की जाए और जिन पर गंभीर आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं, उन्हें रिहा किया जाए।

ज्ञापन में दूसरा बड़ा मुद्दा जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का है। सांसदों ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार कई बार आश्वासन दे चुकी है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।

उन्होंने 11 दिसंबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से यह कहा गया था कि पूर्ण राज्य का दर्जा यथाशीघ्र बहाल किया जाएगा। कोर्ट ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरी करने और चुनाव कराने का निर्देश भी दिया था। अब जबकि चुनाव हो चुके हैं और निर्वाचित सरकार का गठन हो गया है, लोगों को उम्मीद है कि यह वादा पूरा किया जाएगा।

सांसदों ने कहा कि पूर्ण राज्य के दर्जे में हो रही देरी से लोकतांत्रिक, प्रशासनिक और भावनात्मक स्तर पर लोगों को नुकसान हो रहा है और इसे संवैधानिक गरिमा से वंचित करने के रूप में देखा जा रहा है।

तीसरे मुद्दे के तौर पर ज्ञापन में प्रशासनिक व्यापार नियम का जिक्र किया गया है। एनसी सांसदों ने कहा कि निर्वाचित सरकार बनने के बावजूद अब तक बिजनेस रूल्स अधिसूचित नहीं किए गए हैं, जिससे शासन में भ्रम, अधिकारों का टकराव और निर्णय प्रक्रिया में बाधा आ रही है।

उनका कहना है कि इससे निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका कमजोर हो रही है और लोकतांत्रिक व्यवस्था की भावना को ठेस पहुंच रही है। इसलिए बिजनेस रूल्स को जल्द अधिसूचित किया जाना जरूरी है।

--आईएएनएस

वीकेयू/एबीएम

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