राज्यसभा में राधा मोहनदास अग्रवाल ने वक्फ बिल पर 'पाकिस्तान प्रेमी' विपक्ष की खड़ी की खाट, भाषण सुन भाग निकले ओवैसी
नई दिल्ली, 4 अप्रैल। राज्यसभा में आज वक्फ अधिनियम से जुड़े विधेयक पर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ. राधा मोहनदास अग्रवाल ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्तियों को लेकर देश में भ्रम फैलाया जा रहा है और कुछ संगठनों द्वारा मुस्लिम समाज को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। अपने लंबे भाषण में उन्होंने वक्फ संपत्तियों के कथित दुरुपयोग तथा गरीब मुस्लिम समाज के उत्थान पर केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र किया।
कुरान और हदीस के हवाले से दिया तर्क
डॉ. अग्रवाल ने अपने भाषण की शुरुआत में कुरान और हदीस का हवाला देते हुए कहा कि कुरान में कहीं भी यह नहीं लिखा गया कि यदि किसी ने कोई संपत्ति दान नहीं की है, तो उसे 'वक्फ बाय यूजर' मान लिया जाए। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे वक्फ अधिनियम के प्रावधानों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं और समाज को भटका रहे हैं।
वक्फ बाय यूजर की अवधारणा पर सवाल
उन्होंने ‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा को सिरे से खारिज करते हुए उदाहरण दिया कि किस प्रकार कुछ लोग किसी अपार्टमेंट में किराये पर रहकर कुछ दिन नमाज पढ़ते हैं और फिर उस जगह को वक्फ घोषित करने की मांग करने लगते हैं। उन्होंने कहा, "यह स्थिति भूमि माफिया जैसी मानसिकता को दर्शाती है। कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी जमीन को धार्मिक उपयोग में लाकर उस पर दावा नहीं कर सकता।"
वक्फ एक्ट 1995 के खतरनाक प्रावधानों पर जताई चिंता
डॉ. अग्रवाल ने वक्फ एक्ट 1995 की धारा 40 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कानून वक्फ बोर्ड को स्वयं संपत्तियों को चिन्हित करने और उन्हें वक्फ घोषित करने की अनुमति देता है, जबकि असली मालिक को इसकी भनक तक नहीं लगती। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम होता है और उसके खिलाफ किसी प्रकार की अपील की अनुमति नहीं है, जो न्यायिक प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
कर्नाटक की घटना का उल्लेख
उन्होंने राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब वह कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंचे थे, उसी दौरान बेंगलुरु में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे और जब भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया, तो उन्हें जेल भेज दिया गया। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि देश विरोधी नारों के विरुद्ध बोलने वालों को दंडित किया गया।
गरीब मुसलमानों के लिए मोदी सरकार की योजनाएं
डॉ. अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा हिंदू-मुसलमान में भेद किए बिना गरीबों की भलाई की योजनाएं चलाईं। उन्होंने जनधन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना और स्किल इंडिया योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें 30% से अधिक लाभार्थी मुस्लिम समुदाय से हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं, तलाकशुदा और विधवा बहनों, तथा अनाथ बच्चों के लिए ऐतिहासिक कार्य किए हैं।
मुस्लिम समाज में सुधार की आवश्यकता पर बल
अपने संबोधन में डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि जैसे हिंदू समाज ने समय-समय पर सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह जैसे मुद्दों पर सुधारवादी कानून बनाए, वैसे ही मुस्लिम समाज में भी सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 75 वर्षों में पहली बार कोई सरकार मुस्लिम समाज के कल्याण को लेकर गंभीर प्रयास कर रही है।
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प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता की सराहना
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि वह देश के विकास के साथ-साथ मुस्लिम समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास को भी साथ लेकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा, "अगर देश के 20% मुसलमान पीछे रह गए, तो भारत कभी विकसित नहीं बन सकेगा।"
विपक्ष पर लगाया झूठ फैलाने का आरोप
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जैसे ही सरकार ने वक्फ अधिनियम में संशोधन की बात की, विपक्ष ने बिना पूरा मसौदा देखे ही अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं कि सरकार मस्जिदों और कब्रिस्तानों पर कब्जा करेगी। उन्होंने विपक्ष से पूछा कि उन्हें इतनी चिंता तब क्यों नहीं हुई जब वक्फ संपत्तियों पर भ्रष्टाचार और कब्जा हो रहा था।
विधेयक को बताया ऐतिहासिक कदम
अपने भाषण के अंत में डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समाज के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगा, विशेषकर पसमांदा मुसलमानों और महिलाओं के लिए। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता और दूरदृष्टि का परिणाम बताया।
राज्यसभा में डॉ. राधा मोहनदास अग्रवाल का यह भाषण जहां वक्फ संपत्तियों पर पारदर्शिता और पुनःव्यवस्था की मांग करता है, वहीं उन्होंने इस कानून को मुस्लिम समाज के गरीब वर्ग के लिए आशा की नई किरण बताया। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने सरकार के इरादों को स्पष्ट किया और कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि गरीब मुसलमानों के पक्ष में है।