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इम्तियाज अनीस: ओलंपिक में स्पर्धा समाप्त करने वाले एकमात्र घुड़सवार

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। घुड़सवारी की कला भारत में बहुत प्राचीन है। हमारे इतिहास में ऐसी सैकड़ों कहानियां हैं जिनमें योद्धाओं ने अपनी घुड़सवारी की कला से अपने पक्ष को युद्ध में जीत दिलाई है। समय के साथ घुड़सवारी एक बड़े खेल का रूप ले चुकी है और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिष्ठा पा चुकी है। भारतीय घुड़सवारी में इम्तियाज अनीस का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया है।
इम्तियाज अनीस: ओलंपिक में स्पर्धा समाप्त करने वाले एकमात्र घुड़सवार

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। घुड़सवारी की कला भारत में बहुत प्राचीन है। हमारे इतिहास में ऐसी सैकड़ों कहानियां हैं जिनमें योद्धाओं ने अपनी घुड़सवारी की कला से अपने पक्ष को युद्ध में जीत दिलाई है। समय के साथ घुड़सवारी एक बड़े खेल का रूप ले चुकी है और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिष्ठा पा चुकी है। भारतीय घुड़सवारी में इम्तियाज अनीस का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया है।

इम्तियाज अनीस का जन्म 25 दिसंबर 1970 को हुआ था। उनके परिवार में लोग घुड़सवारी करते थे। इसलिए इम्तियाज को बचपन से ही इससे लगाव था और जैसे-जैसे वे बड़े हुए, ये लगाव बढ़ता चला गया और एक साधारण पृष्ठभूमि का होने के बावजूद इस खेल में उन्होंने बड़ी उपलब्धि हासिल की। वे घोड़ों के साथ अपना ज्यादातर वक्त बिताते थे। इम्तियाज ने चार साल की उम्र में घोड़े की सवारी शुरू की और छह साल की उम्र में अपनी पहली प्रतियोगिता जीती।

1998 में बैंकॉक एशियाई खेलों में उन्होंने टीम ड्रेसेज में कांस्य पदक जीता। यह उनके करियर का महत्वपूर्ण पड़ाव था। इसके बाद 2000 सिडनी ओलंपिक में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। इवेंटिंग स्पर्धा (ड्रेसेज, क्रॉस-कंट्री और शो जंपिंग) में वे 23वें स्थान पर रहे। यह उपलब्धि इसलिए खास है क्योंकि वे दूसरे भारतीय घुड़सवार थे जिन्होंने ओलंपिक में भाग लिया और स्पर्धा खत्म करने वाले एकमात्र हैं।

ओलंपिक के बाद इम्तियाज ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में घुड़सवारी में उच्च प्रशिक्षण लिया और प्रतियोगिताएं खेलीं। वे ईक्वेस्ट्रियन ऑस्ट्रेलिया के लेवल 2 कोच और कोच प्रशिक्षक हैं। इम्तियाज अनीस ने गुजरात के नरगोल में सीहॉर्स ईक्वेस्ट्रियन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है। इस केंद्र पर घुड़सवारी से जुड़ी सभी विधाएं सिखाई जाती हैं। इस केंद्र पर वे युवा घुड़सवारों को प्रशिक्षित करते हैं और इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाते हैं।

इम्तियाज अनीस ने बतौर घुड़सवार अपनी यात्रा को अपनी आत्मकथा 'राइडिंग फ्री: माय ओलंपिक जर्नी' में समेटा है। यह किताब उन्होंने 2021 में लिखी थी।

--आईएएनएस

पीएके

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