पत्नी के 72 टुकड़े कर पति ने डीप फ्रीजर में रखी थी लाश... श्रद्धा जैसी दर्दनाक थी अनुपमा की कहानी

देहरादून के शांत और सुंदर प्रकाश नगर में 17 अक्टूबर 2010 की रात एक भयानक घटना ने सबको झकझोर दिया। राजेश गुलाटी और उसकी पत्नी अनुपमा, जिनकी शादी 1999 में हुई थी, छह साल अमेरिका में बिताने के बाद देहरादून लौटे थे। उनके चार साल के जुड़वां बच्चे थे, लेकिन रिश्तों में धीरे-धीरे दरारें पड़ने लगी थीं।
झगड़ा जो बन गया दर्दनाक हादसा
उस रात, किराए के दो कमरे वाले मकान में फिर से झगड़ा हुआ। मामूली बात पर गुस्साए राजेश ने अनुपमा को थप्पड़ मारा। अनुपमा का सिर दीवार से टकराया और वह बेहोश हो गई। घबराए राजेश ने ऐसा कदम उठाया जो उसकी जिंदगी और सभी के लिए बदले की आग बन गया। उसने बेहोशी की हालत में अनुपमा की गर्दन तकिये से दबाकर उसकी जान ले ली।
हृदय विदारक अपराध
अगले दिन, राजेश ने बाजार से इलेक्ट्रिक आरी खरीदकर अपने कृत्य को और भयानक रूप दिया। उसने अपनी पत्नी के शरीर को 72 टुकड़ों में काट दिया। हर टुकड़ा उसने पॉलीथिन में पैक करके डीप फ्रीजर में रखा। फिर वह टुकड़ों को शहर के अलग-अलग इलाकों में फेंकता रहा ताकि पुलिस उसे पकड़ न सके।
सच्चाई की पड़ताल
राजेश ने बच्चों को बताया कि उनकी मां दिल्ली गई है। पड़ोसियों से भी झूठ बोलता रहा, लेकिन जब अनुपमा के भाई सुजान कुमार प्रधान को शक हुआ और उसने पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, तो पूरा सच सामने आया। पुलिस ने राजेश के घर से डीप फ्रीजर में रखे शव के टुकड़े बरामद किए और शहर के कई हिस्सों से शरीर के अंग मिले।
सजा और आजीवन कारावास
2017 में देहरादून की अदालत ने राजेश गुलाटी को इस क्रूर हत्या के लिए आजीवन कारावास और 15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जेल में रहते हुए राजेश स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहा है, हाल ही में उसे 45 दिन की जमानत भी मिली थी। यह घटना न केवल एक परिवार की तबाही का सबब बनी, बल्कि समाज के लिए भी एक गहरा संदेश है कि कैसे घरेलू हिंसा और समझौते की कमी कई बार रिश्तों को बर्बाद कर देती है। इस दर्दनाक कहानी ने देहरादून समेत पूरे उत्तराखंड को हिला कर रख दिया था।