Samachar Nama
×

'हिंदू भी इंसान हैं, यह हमला गलत है' वीडियो में देखें पहलगाम हमले पर पाकिस्तान की आम जनता क्या सोचती है

पहलगाम हमले पर पाकिस्तान की

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने न केवल भारत बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी चर्चा को जन्म दे दिया है। जहां भारत में इस बर्बर घटना को लेकर गुस्सा और दुख का माहौल है, वहीं पाकिस्तान की आम जनता के बीच भी इस हमले को लेकर नाराज़गी और चिंता जताई जा रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो और पोस्ट में पाकिस्तान के आम नागरिक पहलगाम हमले की खुले शब्दों में निंदा करते नजर आ रहे हैं। इन वीडियो में लोग कह रहे हैं कि ''हिंदू भी इंसान हैं, उनका खून भी लाल है, और उन पर इस तरह का हमला सरासर गलत है।'' कुछ ने यहां तक कहा कि चाहे धर्म कोई भी हो, निर्दोष लोगों की जान लेना किसी भी सूरत में जायज़ नहीं हो सकता।

वायरल वीडियो में क्या बोले पाकिस्तान के लोग?

हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें पाकिस्तान के आम नागरिक पत्रकारों या यूट्यूब व्लॉगर्स से बातचीत करते दिख रहे हैं। इन वीडियो में लोगों की भावनाएं साफ झलक रही हैं — वे पहलगाम में मारे गए 26 निर्दोष लोगों के लिए दुख व्यक्त कर रहे हैं और आतंकी मानसिकता की आलोचना कर रहे हैं।

एक वायरल वीडियो में लाहौर की एक बुज़ुर्ग महिला कहती हैं,

''ये इंसानियत के खिलाफ है। चाहे वो हिंदू हों, सिख हों, ईसाई हों या मुसलमान – किसी का खून बहाना अल्लाह को पसंद नहीं।''

एक अन्य युवक कराची से कहता है,

''अगर हम चाहते हैं कि दुनिया हमें मुसलमानों के साथ इंसाफ करते देखे, तो पहले हमें भी दूसरों के धर्म का सम्मान करना होगा। हिंदू भी इंसान हैं, और इस तरह की हिंसा से हम क्या संदेश दे रहे हैं?''

'धार्मिक भावनाएं नहीं, इंसानियत पहले': एक बदला हुआ नजरिया?

पाकिस्तान की आम जनता का यह रुख निश्चित तौर पर एक बदले हुए सामाजिक चेतना का संकेत है। एक समय था जब भारत में किसी घटना के बाद पाकिस्तान से आधिकारिक या आम प्रतिक्रिया न के बराबर होती थी, या फिर परोक्ष समर्थन दिखता था। लेकिन अब की बार हालात अलग हैं। ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक इस बात को खुलकर कह रहे हैं कि आतंकवाद किसी धर्म या राष्ट्र का प्रतिनिधित्व नहीं करता, और निर्दोष नागरिकों की हत्या किसी भी हालत में जायज़ नहीं ठहराई जा सकती।

राजनीतिक सरहदों से परे, संवेदनाओं की आवाज़

पाकिस्तान की जनता द्वारा इस हमले की निंदा करना राजनीतिक सरहदों से ऊपर उठकर इंसानियत की आवाज़ बनकर सामने आया है। जहां भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों में अक्सर तल्खी देखी जाती है, वहीं आम लोगों के विचार इससे एकदम उलट दिखाई दे रहे हैं।

इस्लामाबाद के एक कॉलेज स्टूडेंट ने वीडियो में कहा,

''जब हम भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव या हिंसा की बात करते हैं, तब हमें यह भी देखना चाहिए कि भारत में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला हो, तो वो भी गलत है। अगर इंसानियत की बात करेंगे, तो हमें दोहरा रवैया नहीं रखना चाहिए।''

'हम सबके दिल एक जैसे धड़कते हैं' – सोशल मीडिया पर भावुक प्रतिक्रियाएं

ट्विटर पर पाकिस्तान के कई यूज़र्स ने '#PahalgamAttack' और '#StopTerrorism' जैसे हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए हमले की निंदा की है। कुछ यूज़र्स ने लिखा:

''इंसान इंसान होता है, चाहे वो किसी भी मुल्क या मज़हब का हो। पहलगाम हमले ने दिल तोड़ दिया।''
— @Faisal_Ali_PK

''जो लोग मासूम टूरिस्ट को मार रहे हैं, वे मुसलमान नहीं हो सकते। इस्लाम अमन का मजहब है।''
— @MehreenSpeaks

इन भावनाओं को देखकर लगता है कि आम जनता आतंकवाद को धार्मिक चश्मे से नहीं, बल्कि इंसानियत के नजरिये से देखना चाहती है।

मीडिया और यूट्यूब व्लॉगर्स की भूमिका

इस पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तान के कुछ स्वतंत्र पत्रकारों और यूट्यूब व्लॉगर्स ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने सड़क पर लोगों की राय ली, और बिना किसी सेंसर के उसे दुनिया के सामने पेश किया।

व्लॉगर 'मोहम्मद अली' ने कराची की सड़कों पर लोगों से पहलगाम हमले को लेकर सवाल किए। एक व्यक्ति ने कहा,

''अगर भारत में एक मुसलमान मरे, तो हमें दर्द होता है, तो फिर अगर हिंदू मरे, तो हमें क्यों नहीं होना चाहिए? सब इंसान हैं।''

यह रुख क्यों मायने रखता है?

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट कोई नई बात नहीं है। लेकिन जब आम जनता एक-दूसरे के दर्द को समझने लगे, तब यह उम्मीद की किरण दिखाता है कि शायद एक दिन राजनीति से ऊपर उठकर इंसानियत की भावना दोनों देशों को जोड़ सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की आम जनता द्वारा पहलगाम हमले की निंदा करना भारत के लिए सकारात्मक संकेत है। इससे यह भी पता चलता है कि वहां की नई पीढ़ी आतंकवाद और कट्टरता को नकार रही है।

क्या यह बदलाव स्थायी होगा?

पाकिस्तान की आम जनता की संवेदनशील प्रतिक्रिया ने एक बार फिर यह दिखाया कि इंसानियत ज़िंदा है। ''हिंदू भी इंसान हैं'' — यह कथन न सिर्फ एक टिप्पणी है, बल्कि एक पूरी सोच का परिचायक है। यह सोच कि मजहब से ऊपर मानवता है, और निर्दोषों की हत्या किसी भी नाम पर सही नहीं ठहराई जा सकती। अब यह देखना होगा कि यह भावना कितनी गहराई तक पहुंचती है और क्या यह विचारधारा आतंक के खिलाफ एक स्थायी जनमत में बदल सकेगी। जब आम जनता आतंक के खिलाफ खड़ी होती है, तब सियासत को भी बदलाव पर मजबूर होना पड़ता है। हो सकता है, यह सिर्फ शुरुआत हो — एक ऐसे कल की, जहां सरहदें भले अलग हों, लेकिन दिलों में इंसानियत की जुबान एक जैसी हो।

Share this story

Tags