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पाकिस्तान में पत्रकार की ‘मनमानी हिरासत’ की निंदा, मानवाधिकार परिषद ने जताई गंभीर चिंता

इस्लामाबाद, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान की मानवाधिकार परिषद (एचआरसी) ने शुक्रवार को पत्रकार सोहराब बरकत की जारी “मनमानी हिरासत, जबरन गायब किए जाने और न्यायिक उत्पीड़न” पर गहरी चिंता जताई। परिषद ने कहा कि यह मामला देश में प्रेस की स्वतंत्रता, विधि प्रक्रिया और संवैधानिक सुरक्षा के सम्मान पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
पाकिस्तान में पत्रकार की ‘मनमानी हिरासत’ की निंदा, मानवाधिकार परिषद ने जताई गंभीर चिंता

इस्लामाबाद, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान की मानवाधिकार परिषद (एचआरसी) ने शुक्रवार को पत्रकार सोहराब बरकत की जारी “मनमानी हिरासत, जबरन गायब किए जाने और न्यायिक उत्पीड़न” पर गहरी चिंता जताई। परिषद ने कहा कि यह मामला देश में प्रेस की स्वतंत्रता, विधि प्रक्रिया और संवैधानिक सुरक्षा के सम्मान पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तानी समाचार माध्यम ‘सियासत’ के संवाददाता सोहराब बरकत को कथित तौर पर 26 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होने के दौरान इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया था।

एचआरसी पाकिस्तान के अनुसार, हिरासत के बाद बरकत को अवैध रूप से लाहौर स्थानांतरित किया गया और उनके खिलाफ कई मामलों में फंसाया गया, जबकि इस्लामाबाद हाईकोर्ट में आधिकारिक तौर पर यह बताया गया था कि उनके खिलाफ कोई जांच या मामला लंबित नहीं है और वे यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं।

परिषद ने कहा, “अदालत में दिए गए बयानों और बाद की कार्रवाइयों के बीच का विरोधाभास कानून के शासन के प्रति चिंताजनक उपेक्षा को दर्शाता है।”

मानवाधिकार परिषद ने यह भी स्पष्ट किया कि बरकत पर लगाए गए आरोप पूरी तरह उनके पेशेवर पत्रकारिता कार्य से जुड़े हैं, जिसमें साक्षात्कार करना, समाचार सामग्री का संपादन और प्रकाशन, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग, तथा राजनीतिक असहमति और मानवाधिकार मुद्दों की कवरेज शामिल है। परिषद ने कहा कि ये सभी गतिविधियां पत्रकारिता के वैध और संरक्षित दायरे में आती हैं।

एचआरसी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि बरकत को “बिना विधिक प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया, अदालत में देरी से पेश किया गया, स्पष्ट और टिकाऊ आरोपों के बिना बार-बार रिमांड पर भेजा गया और उन्हें परिवार व कानूनी सलाहकार से पर्याप्त संपर्क से वंचित रखा गया।”

परिषद के अनुसार, “कानूनी प्रक्रिया के अहम चरणों पर नए-नए मामलों का सामने आना जमानत में बाधा डालने और हिरासत को लंबा करने की कोशिश प्रतीत होता है, जिससे कानून के दुरुपयोग की आशंका और गहरी होती है।”

मानवाधिकार परिषद ने सोहराब बरकत की तत्काल रिहाई, उनके खिलाफ सभी मनगढ़ंत और राजनीतिक रूप से प्रेरित मामलों को वापस लेने, तथा उनकी कथित अगवा करने और हिरासत में उनके साथ हुए व्यवहार की स्वतंत्र व पारदर्शी जांच की मांग की। साथ ही, पाकिस्तानी अधिकारियों से पत्रकारों को निशाना बनाने और डराने की नीति समाप्त करने तथा संविधान और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने का आह्वान किया।

परिषद ने जोर देकर कहा, “एक स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस किसी भी लोकतांत्रिक समाज की बुनियाद है। सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करना और बिना डर के जनता को सूचित करना पत्रकारों का कर्तव्य है। पत्रकारिता को अपराध बनाना लोकतंत्र, जवाबदेही और मानवीय गरिमा को कमजोर करता है। पत्रकारिता अपराध नहीं है और सोहराब बरकत की जारी हिरासत तत्काल समाप्त होनी चाहिए।”

--आईएएनएस

डीएससी

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