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नववर्ष पर प्रधानमंत्री मोदी ने आईएनएसवी कौंडिन्या के क्रू मेंबर्स को दी बधाई

नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आईएनएसवी कौंडिन्या के क्रू मेंबर्स को नए साल की शुभकामनाएं दीं। देश 2026 का स्वागत करने की तैयारी कर रहा है, और प्रधानमंत्री ने उनकी मेहनत और समर्पण की भी तारीफ की।
नववर्ष पर प्रधानमंत्री मोदी ने आईएनएसवी कौंडिन्या के क्रू मेंबर्स को दी बधाई

नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आईएनएसवी कौंडिन्या के क्रू मेंबर्स को नए साल की शुभकामनाएं दीं। देश 2026 का स्वागत करने की तैयारी कर रहा है, और प्रधानमंत्री ने उनकी मेहनत और समर्पण की भी तारीफ की।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें आईएनएसवी कौंडिन्या के क्रू की एक तस्वीर देखकर बहुत खुशी हुई और उन्होंने उन्हें नए साल की शुभकामनाएं भी दीं। ये सभी समुद्र में हैं और अपनी यात्रा पर है।

पीएम मोदी ने कहा, “आईएनएसवी कौंडिन्या की टीम से यह तस्वीर पाकर बहुत खुशी हुई। उनका उत्साह देखकर मन प्रसन्न हुआ। जैसे ही हम 2026 का स्वागत करने वाले हैं, मेरी विशेष शुभकामनाएं आईएनएसवी कौंडिन्या टीम को, जो बीच समुद्र में है। उनकी यात्रा का बचा हुआ हिस्सा भी खुशी और सफलता से भरा हो।”

पीएम मोदी के पोस्ट में एक तस्वीर भी थी जिसमें क्रू मेंबर्स जहाज के डेक पर खड़े हैं और पीछे खुले समुद्र और जहाज की विशिष्ट पाल दिखाई दे रही है।

भारतीय नौसेना का विशेष लकड़ी और जूट से बना पोत आईएनएसवी कौंडिन्य सोमवार को गुजरात से ओमान के लिए रवाना हुआ। आईएनएसवी कौंडिन्य पोरबंदर से ओमान के मस्कट के लिए अपनी पहली समुद्री यात्रा पर निकला है।

इस नौसैनिक पोत की खासियत यह है कि यह एक प्राचीन पाल विधि से निर्मित पोत है। यह जहाज प्रतीकात्मक रूप से उन ऐतिहासिक समुद्री मार्गों का पुनर्मूल्यांकन करेगा जिन्होंने सहस्राब्दियों से भारत को व्यापक हिंद महासागर दुनिया से जोड़ा है। अपनी इस यात्रा के जरिए यह पोत भारत की प्राचीन जहाज निर्माण और समुद्री परंपराओं को पुन: साकार करेगा।

इसे प्राचीन भारतीय पोतों के चित्रण से प्रेरणा लेते हुए पूरी तरह से पारंपरिक सिलाई-तख्ता तकनीक का उपयोग करके निर्मित किया गया है।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि आईएनएसवी कौंडिन्य इतिहास, शिल्प कौशल और आधुनिक नौसैनिक विशेषज्ञता का एक दुर्लभ संगम है। समकालीन पोतों के विपरीत, इसके लकड़ी के तख्तों को नारियल के रेशे की रस्सी से सिला गया है और प्राकृतिक राल से सील किया गया है। यह भारत के तटों और हिंद महासागर में प्राचीन समय में प्रचलित पोत निर्माण की परंपरा को दर्शाता है।

--आईएएनएस

एएमटी/डीकेपी

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