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बलूचिस्तान में लोगों को गायब करने के मामले में पत्रकार ने संवैधानिक उल्लंघन का लगाया आरोप

क्वेटा, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की क्रूरता की घटनाओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। जबरन गायब करना, गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखना और हत्याओं जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसका आरोप बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तानी सेना पर लगाते हैं।
बलूचिस्तान में लोगों को गायब करने के मामले में पत्रकार ने संवैधानिक उल्लंघन का लगाया आरोप

क्वेटा, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की क्रूरता की घटनाओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। जबरन गायब करना, गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखना और हत्याओं जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसका आरोप बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तानी सेना पर लगाते हैं।

वहीं, पत्रकार मुनीजाए जहांगीर ने इन घटनाओं को देश के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन बताया है।

मानवाधिकार संगठन बलूच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किए गए एक वीडियो में, जहांगीर ने कहा, "जब कोई जबरदस्ती गायब होने का शिकार होता है, तो इससे न सिर्फ उसका परिवार बहुत ज्यादा परेशानी में पड़ जाता है, बल्कि बलूचिस्तान के लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा और अविश्वास भी पैदा होता है।"

पत्रकार जहांगीर ने लोगों के जबरदस्ती गायब किए जाने को पाकिस्तान में एक बड़ा मुद्दा और गंभीर अपराध बताया। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में महिलाओं को निशाना बनाने वाले हालिया मामले चिंताजनक हो गए हैं।

उन्होंने बताया कि एक 27 साल की गर्भवती महिला और एक 17 साल की लड़की को कथित तौर पर जबरन गायब कर दिया गया। उनके परिवारों को अब तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में एक न्यायिक प्रणाली, एक संविधान और एक पुलिस फोर्स है, और अगर किसी पर गलत काम करने का शक है, तो अधिकारियों को कानूनी तरीकों से कार्रवाई करनी चाहिए।

जहांगीर ने कहा, "जबरदस्ती गायब करने के काम निंदनीय हैं, क्योंकि ये न सिर्फ पाकिस्तान के संविधान का उल्लंघन हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार का भी उल्लंघन हैं।"

इससे पहले बुधवार को मानवाधिकार संगठन बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने बलूचिस्तान में महिलाओं के जबरन गायब करने की खबरों पर गहरी चिंता जताई थी।

बीवीजे ने कहा, "जो महिलाएं गायब हो जाती हैं, उन्हें टॉर्चर और यौन हमला जैसे कई खतरों का सामना करना पड़ता है। उनके परिवारों को उनके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती, उन्हें इंसाफ नहीं मिलता और सच जानने के अधिकार से वंचित रखा जाता है। इस तरह के काम बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, जिसमें आजादी, सुरक्षा, फेयर ट्रायल और टॉर्चर और भेदभाव से बचाव के अधिकार शामिल हैं।"

मानवाधिकार संस्था ने पाकिस्तानी अधिकारियों से तुरंत सभी गायब महिलाओं के ठिकाने का खुलासा करने, उनकी सुरक्षित रिहाई या एक स्वतंत्र कोर्ट के सामने कानूनी पेशी पक्का करने, और कानूनी सलाह और मेडिकल केयर तक पहुंच की गारंटी देने की मांग की।

इसने मांग की कि जबरदस्ती गायब करने के सभी आरोपों की तुरंत, स्वतंत्र और बिना किसी भेदभाव के जांच होनी चाहिए, और जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें फेयर ट्रायल में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

--आईएएनएस

केके/एबीएम

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