नेपाल: जेन-जी विरोध प्रदर्शन मामले में जांच आयोग के सामने पेश हुए पूर्व गृहमंत्री, बोले- नहीं दिया था गोली चलाने का आदेश
काठमांडू, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने 29 दिसंबर 2025 को जेन-जी विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा और अत्याचारों की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय जांच आयोग के समक्ष पेश होकर अपनी गवाही दर्ज कराई।
यह प्रदर्शन सितंबर में हुआ था, जिसमें कथित रूप से अत्यधिक बल प्रयोग के कारण 77 लोगों की मौत हुई थी।
लेखक ने आयोग से कहा कि उन्होंने प्रदर्शनों से एक दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए थे कि कोई हताहत न हो और न्यूनतम बल प्रयोग किया जाए।
लेखक, जो उस समय पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की मिली-जुली सरकार में गृहमंत्री थे, पर जेन-जी विद्रोह के दौरान अत्यधिक बल इस्तेमाल करने की इजाजत देने के आरोप हैं।
जेन-जी आंदोलन के दौरान 8 और 9 सितंबर की घटनाओं की जांच के लिए मौजूदा सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार द्वारा बनाया गया जांच कमीशन पहले ही सुरक्षा एजेंसियों के अध्यक्ष और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के बयान दर्ज कर चुका है।
जांच के हिस्से के तौर पर, आयोग ने पूर्व गृहमंत्री लेखक को तलब किया। आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री ओली को भी तलब करने की योजना बना रहे हैं।
घटनाओं की जांच के लिए बनाए गए जांच आयोग के सामने गवाही देते हुए, लेखक ने आयोग को दिए गए एक लिखित जवाब में दावा किया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल इस्तेमाल करने का कोई लिखित या मौखिक आदेश जारी नहीं किया था।
उन्होंने कहा, "कोई भी कानून गृहमंत्री को बल इस्तेमाल के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं देता है।"
लेखक ने कहा कि उन्होंने जेन-जी विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को यह पक्का करने का निर्देश दिया था कि कोई हताहत न हो और ऐसी कोई स्थिति न बने जिससे किसी व्यक्ति की मौत हो। उनके अनुसार, 7 सितंबर को हुई केंद्रीय सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान, ज्यादा बल इस्तेमाल करने का कोई फैसला नहीं लिया गया था।
लेखक ने कहा, "मैंने सुरक्षा एजेंसियों को घुसपैठियों के खिलाफ चौकस रहने का भी निर्देश दिया था।"
उन्होंने शांतिपूर्ण जेन जी आंदोलन को हाईजैक करने और विरोध प्रदर्शनों को हिंसक बनाने के लिए कुछ खास गुटों को दोषी ठहराया, जिससे 8 सितंबर को कई युवाओं की मौत हो गई।
उन्होंने सोमवार को आयोग के सामने पेशी के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अपने दावों को दोहराया।
जेन-जी आंदोलन के दौरान, कई सरकारी संस्थानों—जिनमें नेपाल सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र सिंघदरबार के अंदर की इमारतें, सुप्रीम कोर्ट, देश भर में कई सरकारी दफ्तर, पुलिस चौकियां, राजनीतिक नेताओं के घर और कई बिजनेस कंपनियों की संपत्ति शामिल हैं—में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। आंदोलन के पहले दिन प्रदर्शनकारियों की हत्या के बाद, दूसरे दिन इन संपत्तियों को निशाना बनाया गया।
लेखक ने दावा किया, "असल में, यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह देश और लोकतंत्र के खिलाफ पूर्वनियोजित हमला था," और मांग की कि इस तबाही के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए।
आयोग पूर्व प्रधानमंत्री ओली का बयान दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। इस बीच अपने रुख पर अड़े पूर्व पीएम ने कहा है कि वह कमीशन के सामने गवाही नहीं देंगे क्योंकि जांच करने वाली संस्था एकतरफा है।
पिछले हफ्ते एक टेलीविजन इंटरव्यू में, पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "अंतरिम प्रधानमंत्री और कमीशन की अध्यक्ष (गौरी बहादुर कार्की) ने मेरा नाम लिया है और कहा है कि मेरे साथ ऐसा-वैसा किया जाना चाहिए। जब उन्होंने पहले ही नतीजा बता दिया है तो मैं बयान क्यों दूं?"
--आईएएनएस
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