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मानवाधिकार दिवस: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 दिसंबर को एनएचआरसी के प्रमुख कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगी

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में एनएचआरसी के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सभी के लिए सम्मान पर अपने विचार साझा करेंगी।
मानवाधिकार दिवस: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 दिसंबर को एनएचआरसी के प्रमुख कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगी

नई दिल्‍ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में एनएचआरसी के कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए सभी के लिए सम्‍मान पर अपने विचार साझा करेंगी।

मानवाधिकार दिवस 1950 से हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है, 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाने की याद में मनाया जाता है।

एक अधिकारी ने रविवार को एक बयान में बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपेक्षा की जाती है कि वे उत्तरदायी शासन और कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण पर प्रकाश डालेंगी, जो सभी के लिए बुनियादी सुविधाएं, न्‍याय, स्‍वतंत्रता, समानता और सम्‍मान सुनिश्चित करने की कुंजी है।

एनएचआरसी के अध्‍यक्ष वी. रामासुब्रमण्यन और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

इस वर्ष के मानवाधिकार दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा चुने गए विषय 'प्रतिदिन की आवश्‍यक वस्‍तुएं' के अनुरूप इस दिवस को मनाने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) 'प्रतिदिन की आवश्‍यक वस्‍तुएं सुनिश्चित करना: सभी के लिए सार्वजनिक सेवाएं और सम्‍मान' विषय पर एक राष्ट्रीय सममेलन का आयोजन भी करेगा।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा इस सम्मेलन में मुख्य भाषण देंगे।

एनएचआरसी के एक बयान में कहा गया है कि सम्मेलन का विषय देश की विकास यात्रा से जुड़ा है और इस बात पर जोर देता है कि मानवाधिकार केवल अमूर्त आकांक्षाएं नहीं हैं। ये रोजमर्रा की जरूरतें हैं जो स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास, न्याय, वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा जैसी जरूरी सेवाओं के माध्यम से किसी के जीवन की गुणवत्ता तय करती हैं।

आयोग का मानना ​​है कि सभी के लिए बुनियादी सुविधाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करने और सभी के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के संवैधानिक वादे को पूरा करने के लिए जिम्मेदार शासन और कुशल सार्वजनिक सेवाएं जरूरी हैं।

हाल के वर्षों में, देश ने पीएम आवास योजना, जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र, आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, वन बंधु कल्याण योजना, आकांक्षी जिला एवं ब्‍लॉक कार्यक्रम और अन्य पहलों के माध्यम से बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच का विस्तार करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

हालांकि, इन कल्याणकारी नीतियों को लगातार मजबूत प्रयासों के साथ पूरक बनाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पहुंच, जागरूकता और जवाबदेही में कोई कमी न रहे।

सम्मेलन के दो सत्रों 'सभी के लिए बुनियादी सुविधाएं: एक मानवाधिकार दृष्टिकोण' और 'सार्वजनिक सेवाएं और सभी के लिए गरिमा सुनिश्चित करना' का उद्देश्‍य इन पहलुओं पर चर्चा करना है।

इन दो सत्रों में प्रतिष्ठित क्षेत्र विशेषज्ञ, भारत सरकार के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इन पहलों पर विचार-विमर्श करेंगे।

--आईएएनएस

एएसएच/डीकेपी

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