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हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला: ईडी ने विशेष न्यायालय में दाखिल किए दो और पूरक आरोपपत्र

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के शिमला जोनल ऑफिस ने करोड़ों रुपए के हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में दो और पूरक आरोपपत्र दाखिल किए हैं। ये आरोप पत्र धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विशेष न्यायालय में दाखिल किए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला: ईडी ने विशेष न्यायालय में दाखिल किए दो और पूरक आरोपपत्र

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के शिमला जोनल ऑफिस ने करोड़ों रुपए के हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में दो और पूरक आरोपपत्र दाखिल किए हैं। ये आरोप पत्र धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विशेष न्यायालय में दाखिल किए गए हैं।

साथ ही, वंचित छात्रों के लिए आवंटित सरकारी निधियों के गबन के आरोपी निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है।

ईडी की तरफ से शनिवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि तीसरा पूरक अभियोग शिकायत 22 अगस्त, 2025 को आईसीएल हाईटेक एजुकेशनल सोसाइटी, संजीव कुमार प्रभाकर और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई थी।

यह सोसाइटी हरियाणा में आईसीएल ग्रुप ऑफ कॉलेजेस का संचालन करती है और धन शोधन के अपराध में संलिप्त पाई गई थी।

चौथा पूरक अभियोग शिकायत 17 दिसंबर, 2025 को देव भूमि एजुकेशनल ट्रस्ट, भूपिंदर कुमार शर्मा और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई थी।

यह ट्रस्ट हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में देव भूमि ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स का संचालन कर रहा था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के शिमला कार्यालय द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने अपनी जांच शुरू की, जिसमें उच्च शिक्षा निदेशालय (डीओएचई) द्वारा छात्रवृत्ति वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा किया गया था।

यह कथित धोखाधड़ी हिमाचल प्रदेश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए निर्धारित पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (पीएमएसएस) के तहत हुई।

जांच में पता चला कि कई निजी संस्थानों ने उन छात्रों का विवरण अपलोड करके फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति राशि का दावा किया जो या तो नामांकित नहीं थे या जिन्होंने अपना पाठ्यक्रम छोड़ दिया था।

छात्रवृत्ति के दावों को बढ़ाने के लिए संस्थानों ने कथित तौर पर एचपी-ई पास पोर्टल पर छात्रों के पाठ्यक्रम बदलकर, बाद के वर्षों में जाति श्रेणियों में बदलाव करके डेटा में हेरफेर किया।

ईडी ने आगे पाया कि घोटाले से प्राप्त अपराध की धनराशि का उपयोग आरोपियों और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर चल और अचल संपत्तियां खरीदने के लिए किया गया था।

इससे पहले पीएमएलए के तहत की गई तलाशी में आपत्तिजनक दस्तावेजों को जब्त किया गया और लगभग 80 लाख रुपए नकद बरामद किए गए। इसके अलावा लगभग 3.30 करोड़ रुपए के बैंक बैलेंस और फिक्स्ड डिपॉजिट को फ्रीज कर दिया गया।

अब तक लगभग 30.5 करोड़ रुपए की संपत्ति के लिए अंतरिम कुर्की आदेश जारी किए गए हैं और इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

ईडी ने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले की आगे की जांच जारी है।

--आईएएनएस

एमएस/डीकेपी

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