2025 में दिल्ली की हवा सात साल में सबसे साफ: आधिकारिक आंकड़े
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। कोविड प्रभावित वर्ष 2020 को छोड़ दें, तो बीते सात वर्षों में 2025 में पीएम2.5 और पीएम10 का औसत स्तर सबसे कम रहा। साथ ही, 2018 के बाद (2020 को छोड़कर) इस साल ‘अच्छी’ और ‘संतोषजनक’ श्रेणी वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) दिनों की संख्या भी सबसे अधिक रही।
आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2025 में एक्यूआई 0 से 100 के बीच रहने वाले कुल 79 दिन दर्ज किए गए, जिन्हें ‘अच्छी’ और ‘संतोषजनक’ श्रेणी में रखा गया। यह 2020 के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है, जब महामारी के कारण प्रतिबंधों से प्रदूषण का स्तर काफी घट गया था। इसके मुकाबले 2024 में ऐसे 66 दिन, 2023 में 61 दिन और 2018 में 53 दिन दर्ज हुए थे।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों के लिए 2021 में गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस सुधार का श्रेय निरंतर नीतिगत कदमों और ज़मीनी स्तर पर की गई सख्त कार्रवाई को दिया है। आयोग के गठन के बाद से प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए कई दिशा-निर्देश, परामर्श और आदेश जारी किए गए, साथ ही वर्षभर सभी संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय बनाए रखा गया।
चुनौतीपूर्ण मौसम परिस्थितियों के बावजूद, वर्ष 2025 में केवल आठ दिन ऐसे रहे जब एक्यूआई ‘अत्यंत खराब’ से ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में रहा। यह 2018 के बाद दूसरा सबसे कम आंकड़ा है। इसकी तुलना में 2019 में ऐसे 25 दिन दर्ज किए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर 2025 में हवाओं की सुस्ती और प्रतिकूल मौसम के कारण मासिक औसत एक्यूआई 351 तक पहुंच गया, लेकिन इससे पूरे साल के सकारात्मक रुझान पर असर नहीं पड़ा।
मासिक आंकड़ों के अनुसार, फरवरी और जुलाई 2025 में 2018 के बाद इन महीनों के लिए सबसे कम औसत एक्यूआई दर्ज किया गया, जो कोविड वर्ष से भी कम रहा। वहीं जनवरी, मई और जून 2025 में भी (2020 को छोड़कर) पिछले सात वर्षों में दूसरा सबसे कम औसत एक्यूआई दर्ज हुआ।
वार्षिक स्तर पर देखें तो 2025 में दिल्ली का औसत एक्यूआई 201 रहा, जो 2018 के बाद (2020 को छोड़कर) सबसे कम है। तुलना करें तो 2024 में औसत एक्यूआई 209, 2023 में 204 और 2018 में 225 रहा था।
कणीय प्रदूषण के स्तर में भी सुधार देखने को मिला। 2025 में पीएम10 का दैनिक औसत स्तर 197 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो 2024 में 212 और 2018 में 241 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। इसी तरह, पीएम2.5 का दैनिक औसत स्तर 2025 में घटकर 96 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जबकि 2024 में यह 104 और 2018 में 113 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। इनसे कम स्तर केवल वर्ष 2020 में दर्ज किए गए थे।
अधिकारियों का कहना है कि ये सकारात्मक परिणाम निरंतर प्रवर्तन, लक्षित हस्तक्षेप और दीर्घकालिक प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों का नतीजा हैं, हालांकि सर्दियों के दौरान मौसमी और मौसम संबंधी चुनौतियां अब भी बनी रहती हैं।
अधिकारियों ने कहा, “अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं के तहत निरंतर ज़मीनी प्रयास और ठोस नीतिगत पहलों से आने वाले वर्षों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में और क्रमिक लेकिन स्पष्ट सुधार देखने को मिलेगा।”
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों में प्रदूषण की समस्या अब भी चिंता का विषय है, लेकिन 2025 के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि संरचनात्मक उपायों से राष्ट्रीय राजधानी की हवा को साफ करने में ठोस और मापने योग्य परिणाम मिलने लगे हैं।
--आईएएनएस
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