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ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की चेतावनी, कहा- वेनेजुएला पर सैन्य कार्रवाई घातक साबित होगी

फोज डो इगुआकु, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने वेनेजुएला में किसी भी तरह की सशस्त्र सैन्य दखलअंदाजी को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। राष्ट्रपति ने आगाह किया कि अगर वेनेजुएला के खिलाफ किसी भी तरह का सशस्त्र बल प्रयोग इस पूरे क्षेत्र में घातक साबित होगा।
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की चेतावनी, कहा- वेनेजुएला पर सैन्य कार्रवाई घातक साबित होगी

फोज डो इगुआकु, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने वेनेजुएला में किसी भी तरह की सशस्त्र सैन्य दखलअंदाजी को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। राष्ट्रपति ने आगाह किया कि अगर वेनेजुएला के खिलाफ किसी भी तरह का सशस्त्र बल प्रयोग इस पूरे क्षेत्र में घातक साबित होगा।

शनिवार को मर्कोसुर और सहयोगी देशों के 67वें शिखर सम्मेलन में बोलते हुए राष्ट्रपति लूला ने अमेरिका की ओर से वेनेजुएला पर बनाए जा रहे सैन्य दबाव पर बात की।

उन्होंने कहा कि अमेरिका की धमकियां, नौसैनिक नाकेबंदी और कैरिबियाई देश वेनेजुएला पर सैन्य मौजूदगी बेहद चिंताजनक है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, लूला ने इसे बाहरी क्षेत्रीय शक्ति की सैन्य दखल बताया, जिससे पूरा लैटिन अमेरिका हैरान और परेशान है।

लूला दा सिल्वा ने साफ शब्दों में कहा कि दक्षिण अमेरिका के लिए शांति और समृद्धि ही एकमात्र सही रास्ता है। अंतरराष्ट्रीय कानून की सीमाओं की परीक्षा ली जा रही है। वेनेजुएला में सशस्त्र हस्तक्षेप पूरे महाद्वीप के लिए मानवीय आपदा होगा और दुनिया के लिए एक खतरनाक उदाहरण बनेगा।

ब्राजील के राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि हाल ही में उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान लूला ने ट्रंप से कहा कि सैन्य टकराव के बजाय बातचीत और समझौते का रास्ता ज्यादा प्रभावशाली और कम नुकसानदेह होता है।

गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला आने-जाने वाले तेल टैंकरों को पूरी तरह रोक दिया है। इसके अलावा, वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार को अमेरिका ने विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने बाद में एक इंटरव्यू में यह भी कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका अतिरिक्त तेल टैंकरों को जब्त करना जारी रखेगा।

इन अमेरिकी कदमों का कई लैटिन अमेरिकी देशों और क्षेत्रीय संगठनों ने विरोध किया है। उन्होंने संवाद की अपील करते हुए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे में हस्तक्षेप कर शांति का रास्ता निकालने की मांग की है।

--आईएएनएस

वीकेयू/एएस

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