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न किडनैप किया और न ही रेप, फिर भी पुलिस ने डाल दिया जेल में…कोर्ट ने दारोगा को लगाई फटकार

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उत्तर प्रदेश के बरेली की अदालत ने बलात्कार और पोक्सो एक्ट मामले में आरोपी को निर्दोष पाया और उसे निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। कोर्ट ने एसएसपी को मामले की जांच कर रहे कांस्टेबल के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इस मामले में 2 फरवरी 2025 को बरेली के अलीगंज थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने अपनी 17 वर्षीय बेटी के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी।

परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि जब वे घर लौटे तो उनकी बेटी वहां नहीं थी। गांव के कुछ लोगों ने बताया कि रवि राणा नाम का एक व्यक्ति उसे अपनी मोटरसाइकिल पर ले गया था। इसके बाद परिजनों ने अलीगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और कुछ दिनों बाद रवि राणा को गिरफ्तार कर लिया।

मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो आरोपी रवि राणा के वकील लवलेश पाठक ने दलील दी कि पीड़िता ने अपने बयान में साफ कहा है कि रवि राणा ने उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया। वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 17 फरवरी 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि रवि राणा के खिलाफ किसी भी तरह का उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए। इसके बावजूद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया। जांचकर्ता ने पर्याप्त सबूत के बिना आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, जो कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने पुलिस के इस रवैये को गंभीरता से लिया और एसएसपी अनुराग आर्य को विवेचक के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

अदालत ने आरोपी रवि राणा को निर्दोष पाया और 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि बिना उचित जांच के किसी भी व्यक्ति को जेल भेजना अन्यायपूर्ण है। न्यायाधीश की लापरवाही के कारण एक निर्दोष व्यक्ति को झूठे आरोपों में फंसाया गया। यह निर्णय कानूनी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है। अक्सर पुलिस बिना उचित जांच के ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लेती है, जिससे निर्दोष लोगों को सजा भुगतनी पड़ती है।

साथ ही, इस अदालती फैसले से यह स्पष्ट है कि बिना सबूत और ठोस आधार के किसी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। पुलिस को अपनी जांच निष्पक्ष और कानूनी तरीके से करनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में आरोपी को तत्काल रिहा करने और विवेचक पर कार्रवाई का निर्देश देकर एक बड़ी मिसाल कायम की है।

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