Samachar Nama
×

जूते ठूंसवाकर, पेशाब पिलाकर करता था इलाज, 'पाखंडी बाबा' का वीडियो देख होंगे हैरान

dfds

छत्रपति संभाजीनगर के वैजापुर तहसील में स्थित शिऊर गांव का एक मंदिर पिछले दो वर्षों से पाखंड का अड्डा बना हुआ था। यहां का पाखंडी बाबा संजय पगारे ने लोगों को झूठे वादों के जाल में फंसाकर ठगने और प्रताड़ित करने का काम किया। संतों की भूमि कहलाने वाले इस इलाके में इस बाबा के कारनामे जानकर हर कोई हैरान रह जाएगा।

शिऊर गांव के इस बाबा का दावा था कि वह भूत-प्रेत उतारता है, जिन लोगों की शादी नहीं हो रही, उनकी शादी करवाता है और जिनके बच्चे नहीं हो रहे, उनकी इच्छा पूरी करने के लिए अघोरी पूजा करता है। लेकिन इन दावों के पीछे उसकी चालाकी और पाखंड छुपा था। भोली-भाली ग्रामीण जनता को वह अपने झूठे इलाज के नाम पर ठगता था और उनके भरोसे का जमकर फायदा उठाता था।

ठगी के भयंकर तरीके

इस पाखंडी बाबा का इलाज करने का तरीका सुन कर ही खून खौल उठता है। वह लोगों को इलाज के नाम पर गंदी और बदबूदार चप्पलें खाने के लिए मजबूर करता था। इसके साथ ही वह अपने पेशाब को भी जबरन पीने के लिए कहता था। जो लोग मना करते, उन्हें अपनी छड़ी से पीटने में वह गुरेज नहीं करता था। यह रवैया उसके भक्तों के लिए सामान्य और स्वीकृत था, लेकिन बाहर के लिए यह बेहद अमानवीय था।

अंधश्रद्धा निर्मूलन संगठन ने किया खुलासा

अंधश्रद्धा निर्मूलन संगठन के कार्यकर्ताओं ने इस पाखंडी बाबा के कुकृत्यों को छुपाने की बजाय उसकी करतूतों को कैमरे में कैद कर लिया। उनके पास मौजूद खुफिया कैमरे में बाबा के झूठे चालीस हावी होने के सबूत मिले। संगठन ने यह वीडियो संबंधित पुलिस स्टेशन में सौंपकर शिकायत की, जिससे पुलिस ने बाबा के खिलाफ कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया।

बाबा फरार, लोगों में भय का माहौल

जैसे ही बाबा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ, वह अपने अनुयायियों के साथ मौके से फरार हो गया। अभी तक वह पुलिस की पकड़ से बाहर है। इसके अलावा उस पर महिलाओं को अनुचित तरीके से छूने का भी गंभीर आरोप है। एक महिला ने बाबा के खिलाफ आपत्तिजनक आरोप लगाए हैं, जो इस मामले को और भी गंभीर बना देते हैं।

नाम और आचरण

इस पाखंडी बाबा का नाम संजय रंगनाथ पगारे है। जब वह भक्तों के सामने आता था तो ‘अलख निरंजन, अलख निरंजन’ का जाप करता था, लेकिन इस जाप के पीछे एक धोखा और झूठ छिपा था। उसकी चालाकी और बेजुबान जनता से पैसे की ठगी का खेल वर्षों तक चलता रहा, जिसे अंधश्रद्धा निर्मूलन संगठन ने समाप्त कर दिया।

आगे की कार्रवाई की उम्मीद

पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और फरार बाबा की तलाश में जुटी है। ग्रामीण जनता और प्रशासन दोनों की उम्मीद है कि जल्द ही इस पाखंडी बाबा को पकड़कर उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह के पाखंड और अंधविश्वास पर रोक लग सके। छत्रपति संभाजीनगर की यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि अंधविश्वास के नाम पर हो रही ठगी और दुराचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला सामाजिक जागरूकता और धार्मिक धोखाधड़ी के खिलाफ अभियान को और भी मजबूती देगा।

Share this story

Tags