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मक्के के खेत में मिला 40 वर्षीय आशा वर्कर का अर्धनग्न शव, टीकाकरण के लिए गई थी गांव 

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उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने जिलेभर में सनसनी फैला दी है। अलापुर थाना क्षेत्र के खरखोली गांव में एक आशा कार्यकर्ता का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मक्के के खेत में अर्धनग्न अवस्था में मिला है। मृतका के शरीर की हालत को देखकर दुष्कर्म की आशंका जताई जा रही है, जबकि पुलिस जमीन विवाद के एंगल को भी जांच में शामिल कर रही है।

टीकाकरण अभियान के बाद लापता हुई थी महिला

मृतक महिला की पहचान एक आशा कार्यकर्ता के रूप में हुई है, जो मंगलवार को टीकाकरण अभियान के तहत कुंदन नगला गांव गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम को उसे एक एएनएम (सहायक नर्सिंग मिडवाइफ) के साथ स्कूटी पर जाते हुए देखा गया था, लेकिन इसके बाद वह अचानक लापता हो गई। रातभर कोई जानकारी नहीं मिलने के बाद अगली सुबह गांव के एक मक्के के खेत में उसका शव मिला।

शव मिलने की सूचना से इलाके में हड़कंप

स्थानीय ग्रामीणों ने जब खेत में महिला का अर्धनग्न शव देखा, तो उन्होंने तत्काल पुलिस को आपातकालीन सेवा नंबर 112 के जरिए सूचित किया। पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और घटनास्थल से सबूत जुटाए गए। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। प्रारंभिक जांच में महिला के साथ यौन शोषण की आशंका जताई जा रही है, लेकिन पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेकर हर एंगल से जांच कर रही है।

जमीन विवाद का भी एंगल आया सामने

जांच में यह भी सामने आया है कि मृतका का परिवार 1.5 बीघा जमीन को लेकर विवाद में उलझा हुआ था। पुलिस को संदेह है कि महिला की हत्या के पीछे यह भूमि विवाद भी एक संभावित कारण हो सकता है। पुलिस ने मृतका के परिजनों से पूछताछ के बाद दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

चार टीमों का गठन, एसटीएफ भी जुटी

बदायूं पुलिस ने इस संवेदनशील मामले की गंभीरता को देखते हुए चार जांच टीमों का गठन किया है, जिनमें एक टीम एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) और एक निगरानी इकाई भी शामिल है। पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया है कि घटना में शामिल अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। फॉरेंसिक रिपोर्ट और पोस्टमार्टम के बाद हत्या और संभावित दुष्कर्म की पुष्टि होगी।

परिजनों में आक्रोश, न्याय की मांग

मृतका के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने इस घटना को सुनियोजित हत्या करार देते हुए दोषियों को फांसी देने की मांग की है। गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।

निष्कर्ष

बदायूं की यह घटना सिर्फ एक महिला के साथ अपराध नहीं, बल्कि उस सामाजिक सुरक्षा तंत्र पर सवाल है जो महिलाओं की सुरक्षा का दावा करता है। अब सबकी नजरें पुलिस जांच और न्यायिक प्रक्रिया पर टिकी हैं, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और पीड़िता को इंसाफ।

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