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गुजरात : सात महीने की ट्रेनिंग के बाद घर लौटे अग्निवीर चिराग, गांव में हीरो जैसा सम्मान

दहेगाम (गुजरात), 4 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के हर गांव और शहर में अग्निवीरों का स्वागत बड़े उत्साह के साथ होता है। अग्निवीरों की आज समाज में अलग ही पहचान बन रही है। गुजरात के गांधीनगर जिले के दहेगाम कस्बे में इसका जीवंत उदाहरण देखने को मिला, जहां अग्निवीर चिराग झाला सिंह अपने सात महीने के प्रशिक्षण को पूरा कर जब घर लौटे, तो पूरा गांव सम्मान और गर्व से झूम उठा।
गुजरात : सात महीने की ट्रेनिंग के बाद घर लौटे अग्निवीर चिराग, गांव में हीरो जैसा सम्मान

दहेगाम (गुजरात), 4 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के हर गांव और शहर में अग्निवीरों का स्वागत बड़े उत्साह के साथ होता है। अग्निवीरों की आज समाज में अलग ही पहचान बन रही है। गुजरात के गांधीनगर जिले के दहेगाम कस्बे में इसका जीवंत उदाहरण देखने को मिला, जहां अग्निवीर चिराग झाला सिंह अपने सात महीने के प्रशिक्षण को पूरा कर जब घर लौटे, तो पूरा गांव सम्मान और गर्व से झूम उठा।

चिराग का स्वागत फूल-मालाओं, रैली और जयकारों के बीच किया गया। परिजन, रिश्तेदार और गांववासी तिरंगे के साथ जश्न में शामिल हुए और चिराग को समाज का हीरो बताते हुए गर्व प्रकट किया।

चिराग झाला सिंह खुली जीप पर सवार होकर गांव में प्रवेश कर रहे थे। उनके सिर पर सलीके से बंधी कैप, गले में रंग-बिरंगी माला और हाथ में लहराता तिरंगा देखकर हर कोई उत्साहित दिखा।

लोगों ने उन पर फूल बरसाए और देशभक्ति के नारे लगाए। गांव में जगह-जगह उनका स्वागत किया गया, जिससे माहौल पूरी तरह देशभक्ति और उमंग से भर गया। चिराग के स्वागत में निकाली गई रैली में बड़ी संख्या में युवा एवं बुजुर्ग शामिल रहे।

अपनी खुशी साझा करते हुए अग्निवीर चिराग झाला ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि हर जगह खुशी का माहौल है। देश की सेवा करना मेरा सौभाग्य है और इसी जज्बे के साथ आगे बढ़ना चाहता हूं। उनके बड़े भाई ने भी भावुक होते हुए कहा कि उन्हें अपने छोटे भाई पर गर्व है कि वह देश की रक्षा के लिए सेना में शामिल हुआ है।

चिराग के पिता जितेंद्र सिंह ने बताया कि उनके बेटे का चयन आर्मी में होना परिवार के लिए गर्व का पल है। उन्होंने कहा कि चिराग सात महीने पहले प्रशिक्षण के लिए गया था। अब जब वह सफलतापूर्वक ट्रेनिंग पूरी कर घर लौटा है, तो उसके स्वागत में रैली निकाली गई है। यह हमारे परिवार और पूरे गांव के लिए सम्मान का क्षण है।

--आईएएनएस

एएसएच/एबीएम

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