'गरीब तबका जानवरों से सबसे ज्यादा प्यार करता है', जया भट्टाचार्य ने साझा की जमीनी सच्चाई
मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। टीवी और फिल्म जगत की जानी-मानी अभिनेत्री जया भट्टाचार्य अक्सर अभिनय के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों को लेकर भी चर्चा में रहती हैं। खासकर जानवरों के अधिकार और उनकी सुरक्षा को लेकर जया लगातार आवाज उठाती रही हैं। इस कड़ी में उन्होंने वीजे नाम के एक डॉगी का जन्मदिन मनाया।
आईएएनएस से बात करते हुए जया भट्टाचार्य ने बताया कि ठीक एक साल पहले इसके साथ नायगांव इलाके में बेहद क्रूर अपराध हुआ था। इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया था।
जया भट्टाचार्य ने बताते हुए कहा, ''जब वीजे हमारे पास आया था, तब उसकी हालत बहुत खराब थी। उसकी नर्व्स पूरी तरह से डैमेज हो चुकी थीं। उसके तीन पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे और उसका सिर एक तरफ झुका हुआ रहता था। लगातार देखभाल, इलाज और एक्यूप्रेशर की मदद से उसके पैर और गले में तो सुधार आया, लेकिन उसकी आंखों की रोशनी आज भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई है।''
जया ने बताया कि वीजे को बड़ी चीजें भी साफ-साफ नहीं दिखतीं। वीजे के नाम के पीछे की कहानी बताते हुए जया ने कहा, "डॉक्टरों ने सुझाव दिया था कि उसकी हालत को देखते हुए उसे पॉजिटिव एनर्जी की जरूरत है। इसलिए उसका नाम 'वीजे' रखा गया, जिसका मतलब उसकी मां और मासी, यानी खुद जया, दोनों के नाम की ऊर्जा उसे देना था।"
जया ने कहा कि वीजे सिर्फ एक डॉगी नहीं है, बल्कि उनके परिवार का हिस्सा है। जया भट्टाचार्य ने इस बातचीत में समाज के एक ऐसे पहलू पर भी प्रकाश डाला, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ''सड़क पर कपड़ा उठाने वाले, झाड़ू लगाने वाले, कचरा साफ करने वाले, ऑटो चलाने वाले और घरों में काम करने वाले लोग अक्सर उनके पास स्ट्रीट डॉग्स के इलाज के लिए आते हैं। खास बात यह है कि ये लोग खुद बहुत सीमित साधनों में जीते हैं, फिर भी जानवरों के इलाज के लिए पैसे देने को तैयार रहते हैं। समाज का यह तबका जानवरों के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील और दयालु होता है।''
इस पूरे मामले में जया भट्टाचार्य ने न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने दुख के साथ बताया कि जिस आरोपी पर इस क्रूर अपराध का आरोप था, उसे सिर्फ 50 रुपए का जुर्माना देकर जमानत पर छोड़ दिया गया। जया ने कहा कि इतनी मामूली सजा से न तो अपराध रुकते हैं और न ही अपराधियों को कोई डर होता है। इससे समाज में गलत संदेश जाता है कि जानवरों के साथ अपराध करना कोई बड़ी बात नहीं है।
उन्होंने कहा, ''भले ही अब इस मामले में केस दर्ज हो चुका है, लेकिन न्याय की प्रक्रिया बेहद धीमी है। पूरे एक साल में सिर्फ दो बार सुनवाई हो पाई है। दूसरी सुनवाई के दिन जज के छुट्टी पर होने की वजह से तारीख आगे बढ़ गई। जब इंसाफ मिलने में इतनी देरी होती है, तो पीड़ितों की आवाज कमजोर पड़ जाती है और अपराध करने वालों का हौसला बढ़ता है।''
उन्होंने कहा, "अगर किसी के अंदर सच्ची इच्छा हो, तो समय अपने आप निकल आता है। शूटिंग के बाद या खाली समय में मैं घायल जानवरों की मदद करती हूं, लोगों को जागरूक करती हूं, और जरूरत पड़ने पर आवाज उठाती हूं। मेरे लिए यह कोई अलग काम नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा है।"
--आईएएनएस
पीके/एबीएम

