‘विकसित भारत-जी राम जी’ योजना पर कांग्रेस के दुष्प्रचार का जवाब देने को अभियान चलाएगी झारखंड भाजपा: आदित्य साहू
रांची, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने कांग्रेस पर ‘विकसित भारत-जी राम जी’ योजना को लेकर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने बुधवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस गांव, गरीब और किसान विरोधी पार्टी है और जब भी भ्रष्टाचार और लूट पर लगाम कसने की कोशिश होती है, कांग्रेस को परेशानी होने लगती है। उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत-जी राम जी’ योजना को लेकर कांग्रेस के दुष्प्रचार का भाजपा पूरी ताकत से जवाब देगी।
भाजपा कार्यकर्ता योजना के समर्थन में व्यापक अभियान चलाएंगे और गांव-गांव जाकर लोगों को इस नई योजना की वास्तविक जानकारी देंगे। सांसद ने बताया कि 8 से 10 जनवरी तक सभी मंडलों में भाजपा कार्यकर्ता विशेष अभियान के तहत इस योजना की विशेषताओं को जनता के सामने रखेंगे और कांग्रेस के आरोपों का तथ्यात्मक जवाब देंगे।
आदित्य साहू ने कहा कि मनरेगा लंबे समय से भ्रष्टाचार और लूट का केंद्र बन चुकी थी। कई बार सुधार के प्रयास किए गए, लेकिन स्थिति में कोई ठोस बदलाव नहीं आया। उन्होंने कहा कि झारखंड के कई जिलों में मनरेगा घोटाले सामने आए हैं। खूंटी जिले में 24 करोड़ रुपए के गबन मामले में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को जेल जाना पड़ा, जो इस भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण है। उनके अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा से जुड़े 193.67 करोड़ रुपए के गबन के मामले दर्ज किए गए, जबकि 2025-26 में 23 राज्यों में कागजों पर ऐसे कार्य दर्शाए गए, जो जमीन पर मौजूद ही नहीं थे।
सांसद ने कहा कि कई स्थानों पर श्रम आधारित कार्यों में मशीनों का इस्तेमाल किया गया, जिससे योजना की मूल भावना को ठेस पहुंची। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के बाद केवल 7.61 प्रतिशत परिवार ही 100 दिन का रोजगार पूरा कर पाए। सरकार के प्रयासों से महिलाओं की भागीदारी और सक्रिय श्रमिकों की संख्या बढ़कर 12.11 करोड़ तक पहुंची, लेकिन 99 प्रतिशत ई-भुगतान के बावजूद कई जगह कार्य धरातल पर नहीं उतर सके।
उन्होंने कहा कि इन्हीं परिस्थितियों के कारण नए अधिनियम की आवश्यकता पड़ी। विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), जिसे ‘जी राम जी’ योजना के रूप में लागू किया गया है, मनरेगा का विकसित और अधिक प्रभावी रूप है। इस योजना के तहत ग्रामीण श्रमिकों को अब 100 के बजाय 125 दिन का रोजगार मिलेगा।
कृषि कार्यों को ध्यान में रखते हुए साल में 60 दिन नो-वर्क अवधि रखी गई है, ताकि मजदूर खेती के काम में लग सकें और किसानों को समय पर श्रमिक उपलब्ध हो सकें। शेष 300 दिनों में से 125 दिन काम की गारंटी दी गई है और काम नहीं मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान है। इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 60:40 होगी।
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