बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार को हुए एक कट्टर राजनीतिक हत्याकांड ने इलाके में राजनीति-प्रचार और बाहुबली राजनीति का पुराना चित्र फिर से उजागर किया है। घटना का मुख्य केंद्र थे दुलारचंद यादव, जो कि जन सुराज पार्टी के समर्थन अभियान में सक्रिय थे, और उनके खिलाफ दर्ज अपराध-और राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले आरोपों के बीच फँसा हुआ था। दिन दोपहर के करीब 12.30 बजे दुलारचंद का प्रचार वाहन-काफिला तारतार बसावनचक इलाके में पहुँचा था। उसी समय उनके काफिले और कथित विरोधी गुट-समर्थकों के बीच आमना-सामना हुआ। शुरुआत होती है नारेबाजी और बात-बात में बढ़ती बहस से। हैरानी की बात यह है कि यह आरोप है कि इस आमने-सामने के बाद फौरन हिंसा ने अपना रूप ले लिया। लगभग 1 बजे के आसपास घटना अधिक तीव्र हो गई—लाठी-डंडे चले, पत्थरबाजी हुई और फिर गोली चलने की बातें सामने आईं। गवाहों के अनुसार दुलारचंद को पहले गोली लगी, तथा बाद में उन पर हमला भी हुआ। करीब 1.10-1.15 बजे एक वाहन ने उन्हें कुचलने का प्रयास किया, जिससे उनकी दशा और भी गंभीर हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उनकी मौत पसलियों व फेफड़ों के टूटने और टखने में गोली के निशान के कारण हुई थी।
घटना के तुरंत बाद इलाके में भय और आक्रोश दोनों फैले। स्थानीय लोगों ने शव उठाने से इनकार कर दिया और प्रभावशाली लोगों की गिरफ्तारी की मांग उठाई। पुलिस को घटनास्थल पर पहुँचने में काफी देर हुई, जिससे इलाके में तनाव और बढ़ गया। शाम करीब 4.30 बजे फोरेंसिक टीम सहित पुलिस ने घटनास्थल को घेरा, गोलियों के खोखे, वाहन के टायर निशान व लाठी-डंडों के सबूत बरामद किए। तपास की दिशा में बड़ी कार्रवाई शनिवार की रात हुई जब अनंत सिंह को गिरफ्तार किया गया। वह इस क्षेत्र के प्रभावशाली चेहरे माने जाते हैं और पूर्व विधायक भी रह चुके हैं। पुलिस ने बताया कि उनसे पूछताछ चल रही है तथा मामले की जांच व्यापक रूप से जारी है। इस मामले में राजनीतिक निहितार्थ भी गहरे हैं। मोकामा की राजनीति में बाहुबली प्रवृत्ति, सामाजिक-वर्गीय टकराव, दलित-पिछड़े वोटों की भूमिका और क्षेत्रीय कुशासन-वर्ग का आज भी वजूद स्पष्ट दिख रहा है। दुलारचंद यादव का पूर्व में सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव रहा है, वहीं अनंत सिंह की ताकत और उनका समर्थन-नेटवर्क भी मजबूत माना जाता है। इस हत्या ने क्षेत्रीय राजनीति में नए समीकरण खड़े कर दिए हैं।मिली-जुली जानकारी के अनुसार, अभी एफआईआर दर्ज की गई है और कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस एवं प्रशासन द्वारा यह मामला गंभीरता से लिया गया है और चुनावी मौसम और प्रचार-प्रसार की पृष्ठभूमि में यह घटना एक चेतावनी-प्रतीक बनकर उभरी है।

