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पहले ऑटो में बिठाता, फिर महिलाओं के साथ जबरदस्ती करता दुष्कर्म...जानें क्या है पूरा मामला?

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दिल्ली की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर ऑटो-रिक्शा लाखों लोगों के लिए सुविधा का दैनिक साधन है, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए यह यात्रा हाल ही में दुःस्वप्न में बदल गई है। ऑटो में बैठते ही उनकी नजर गहनों और कीमती सामान पर होती थी और मौका मिलते ही चोरों का यह गिरोह अपना काम कर देता था। लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने इस खेल का पर्दाफाश कर दिया है। ऑटो चालक शाहनवाज और उसके दो साथियों दानिश और वसीम को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो महिलाओं को अपना शिकार बनाते थे।

यह सब 21 मार्च को तब प्रकाश में आया जब एक महिला ने पुलिस को अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि वह ऑटो रिक्शा में सवार थीं और यात्रा के दौरान उनके आभूषण गायब हो गए। शिकायत मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई। यह कोई साधारण चोरी नहीं थी, बल्कि एक चतुराईपूर्ण खेल था। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाली, सड़कों पर लोगों से पूछताछ की और धीरे-धीरे गिरोह तक पहुंच गई।

पुलिस जांच में जो बात सामने आई वह चौंकाने वाली थी। शाहनवाज नाम के इस ऑटो चालक ने अपने वाहन को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाया। उसकी योजना पहले यात्री को विश्वास दिलाने और फिर यात्रा के दौरान उसके गहने या कीमती सामान चुराने की थी। इस खेल में उनके साथी दानिश और वसीम भी बराबर के भागीदार थे। गिरोह इतना खतरनाक था कि पीड़ितों को चोरी का पता अक्सर बहुत देर से चलता था।

पुलिस ने मामले को सुलझाने के लिए दिन-रात काम किया। कई दिनों की मेहनत के बाद 28 मार्च को पहली सफलता मिली। शाहनवाज के घर पर छापा मारा गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उसके साथियों की बारी आई। दानिश को लोनी से और वसीम को खजूरी खास से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने अपराध में प्रयुक्त ऑटो रिक्शा भी बरामद कर लिया है। बाहर से साधारण दिखने वाला यह ऑटो अंदर से चोरों का हथियार बन चुका था।

इस घटना ने दिल्ली की सड़कों पर यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। पुलिस का कहना है कि ऐसे गिरोह अक्सर विश्वसनीय चेहरों के पीछे छिपे रहते हैं। महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने सामान पर नजर रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें। शाहनवाज और उसके साथियों को गिरफ्तार करके पुलिस ने एक बड़े खतरे को खत्म कर दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या अब दिल्ली की सड़कें पूरी तरह सुरक्षित हैं? यह कहानी न केवल एक अपराध के बारे में है, बल्कि उस सतर्कता के बारे में भी है जिसे हर यात्री को अपनाना चाहिए।

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