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आखिरकार नौ साल के बाद पुलिस ने 'मुर्दे' को किया गिरफ्तार, फिर आगे जो हुआ उसे जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

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देवभूमि उत्तराखंड से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने पुलिस और आम जनता को स्तब्ध कर दिया है। उधम सिंह नगर जिले में पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसे सरकारी दस्तावेजों में नौ साल पहले मृत घोषित कर दिया गया था। लेकिन जब उस ‘मुर्दे’ को जिंदा गिरफ्तार किया गया, तो एक के बाद एक खुलासों ने पूरे मामले को अपराध, धोखा और फरेब की एक चौंकाने वाली साजिश में बदल दिया।

गिरफ्तार शख्स का असली नाम मुकेश यादव है, लेकिन वह पिछले नौ सालों से मुनेश यादव की फर्जी पहचान के साथ रह रहा था। वर्ष 2015 में उसने खुद को मृत घोषित करने की एक सोची-समझी साजिश रची थी, जिसमें उसके परिवार के कई सदस्य भी शामिल थे। वजह थी – लूट, डकैती और गैंगस्टर एक्ट जैसे कई संगीन अपराधों में दर्ज मुकदमे और लाखों रुपये का कर्ज, जिससे बचने के लिए उसने एक झूठी मौत की पटकथा तैयार की।

कैसे रचा गया ‘मौत’ का नाटक?

29 जुलाई 2015 को सितारगंज के डॉक्टर ज्वाला प्रसाद ने थाने में एक व्यक्ति की मौत की सूचना दी। मृतक को मुकेश यादव बताया गया, जिसके पास आधार कार्ड, मोबाइल और एक डायरी मिली। पुलिस ने इसे मानकर मुकदमे बंद कर दिए। लेकिन असलियत यह थी कि मुकेश ने अपने एक परिचित मनिंदर सिंह की हत्या कर उसकी पहचान को बदलकर खुद की लाश घोषित कर दी थी।

मुकेश ने शव को सड़क दुर्घटना जैसा दिखाया, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पंचायतनामा तैयार करवाया और खुद ‘मरा हुआ’ बन गया। इसके बाद उसके परिवार ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीवन बीमा की भारी रकम भी वसूल ली।

नया जीवन, नई पहचान

मृत घोषित होने के बाद मुकेश ने ‘मुनेश यादव’ नाम से नया जीवन शुरू किया। लेनदारों का कर्ज खत्म, सभी आपराधिक केस बंद, और बीमा का पैसा परिवार के पास – यह योजना इतनी सफाई से रची गई थी कि पुलिस को भी संदेह नहीं हुआ।

गवाह के खुलासे से टूटी चुप्पी

मामले में अहम मोड़ तब आया जब मोनू कुमार, मृतक मनिंदर सिंह का भाई, सामने आया। उसने बताया कि 2016 में वह अपने भाई की गुमशुदगी दर्ज कराना चाहता था लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। नौ साल बाद जब मुकेश पकड़ा गया तो सारा सच बाहर आया।

अब बचना नामुमकिन

मुकेश ने खुद पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उसके पिता भीकम सिंह, भाई धर्मपाल, पत्नी सुधा, बेटा किशन पाल और बहन संगीता इस योजना में शामिल थे। सभी ने मिलकर हत्या और फर्जीवाड़ा किया।

अब जब पूरे मामले की परतें खुल चुकी हैं, पुलिस ने मुकेश यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उसके खिलाफ हत्या, धोखाधड़ी, साजिश, जालसाजी और बीमा धोखाधड़ी जैसे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि इस केस की जड़ें बहुत गहरी हैं और इसमें शामिल अन्य लोगों की भी जल्द गिरफ्तारी की जाएगी।

इस चौंकाने वाले मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराध चाहे कितना ही शातिर क्यों न हो, कानून के हाथ लंबे होते हैं। नौ साल तक पुलिस और सिस्टम को चकमा देने वाला मुकेश अब सलाखों के पीछे है, और बाहर निकलना उसके लिए लगभग नामुमकिन है।

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