दिल्ली में प्रदूषण पर सख्ती का दिखा असर, सरकार की मॉनिटरिंग में सामने आए सकारात्मक नतीजे
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा लागू कड़े उपायों का असर जमीन पर दिखने लगा है। सरकार की व्यापक मॉनिटरिंग में सामने आया कि सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आई है और बड़ी संख्या में वाहन चालक स्वेच्छा से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) बनवाते नजर आए।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ समीक्षा बैठक कर विभिन्न विभागों से प्राप्त फीडबैक का आकलन किया। उन्होंने माना कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और विभागों के बीच बेहतर समन्वय से आदेशों का प्रभावी पालन सुनिश्चित हुआ है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों के तहत दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) का चौथा चरण लागू है। इसके अंतर्गत दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की 210 संयुक्त प्रवर्तन टीमों ने सघन अभियान चलाया। इस दौरान बिना पीयूसी वाले वाहनों के खिलाफ कुल 3,746 चालान किए गए, जिनमें ट्रैफिक पुलिस के 2,743, परिवहन विभाग के 316 और एएनपीआर प्रणाली से 687 चालान शामिल हैं। वहीं, ग्रेप नियमों के उल्लंघन पर कुल 397 चालान दर्ज किए गए।
सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए 50% स्टाफ को वर्क-फ्रॉम-होम, ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम का सख्त पालन, गैर-बीएस-VI वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध जैसे अहम फैसले लागू किए हैं। निर्माण कार्यों पर रोक से प्रभावित मजदूरों को ₹10,000 डीबीटी सहायता देने का भी निर्णय लिया गया है। स्कूलों और सार्वजनिक गतिविधियों पर भी ग्रेप-4 के तहत आवश्यक प्रतिबंध लागू हैं।
धूल नियंत्रण के लिए सरकार ने 397 एंटी-स्मॉग गन, 276 वाटर स्प्रिंकलर और 73 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें तैनात की हैं, जिनसे 2,177.2 किलोमीटर से अधिक सड़कों की यांत्रिक सफाई की गई। इसके साथ ही आईटीओ पर लगाए गए अत्याधुनिक मिस्ट स्प्रे सिस्टम को अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार दिया जा रहा है।
दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर निगरानी और सख्ती आगे भी जारी रहेगी, ताकि आम लोगों को त्वरित राहत मिले और दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित किए जा सकें।
--आईएएनएस
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