प्रेमी से मिलने के लिए बनाया फिल्म दृश्यम से भी खतरनाक प्लान, 2 महीने बाद नाले से खोदकर निकाला शव

मेरठ में पति को ड्रम में बंद कर ठिकाने लगाने का सनसनीखेज मामला और शिलांग में राजा रघुवंशी की निर्मम हत्या की घटना के बाद से पूरे देश में एक ही सवाल गूंज रहा है – देश से कितनी ‘सोनम’ निकलेंगी? हर रोज़ ऐसी दुखद व भयावह घटनाएं सामने आ रही हैं, जो न केवल इंसानियत को शर्मसार कर रही हैं, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते कब तक सुरक्षित रह पाएंगे। ऐसी ही एक हैरान कर देने वाली घटना हाल ही में महाराष्ट्र के नासिक जिले के सुरगाना तहसील के मालगोंडा गांव से आई है, जिसने फिल्मी कहानियों को भी पीछे छोड़ दिया है। यहां एक पत्नी ने अपने पति की हत्या कुल्हाड़ी से कर दी, फिर शव को घर के बाहर नाले में गाड़ दिया और पूरे गांव तथा परिवार को दो महीने तक इस घटना की जानकारी नहीं होने दी।
हत्या का भयानक मामला
मालगोंडा गांव की रहने वाली प्रभा ठाकरे ने 14 अप्रैल की रात अपने पति यशवंत ठाकरे की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। प्रभा ने अपने किए हुए कृत्य को छुपाने के लिए अपने पति के शव को घर के बाहर नाले में खुदाई कर गाड़ दिया। इसके बाद उसने पूरे परिवार और रिश्तेदारों को झूठी जानकारी दी कि यशवंत काम के सिलसिले में गुजरात चला गया है।
शक के बाद खुला राज
यशवंत के माता-पिता जब लगातार अपने बेटे की तलाश में लगे तो प्रभा ने लगातार झूठ बोलते हुए उन्हें शांत करने की कोशिश की। पर जब रिश्तेदारों से पूछताछ की गई तो कहीं भी यशवंत का कोई सुराग नहीं मिला। इसी कारण यशवंत के माता-पिता का शक पक्का हो गया और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने जब प्रभा से कड़ी पूछताछ की, तो उसने शुरुआत में सभी आरोपों को नकार दिया। लेकिन जब पुलिस ने इलाके का नक्शा और सबूत उसके सामने रखे तो प्रभा टूट गई और अपराध स्वीकार कर लिया। उसने बताया कि रोज़-रोज की मारपीट से तंग आकर उसने ये भयानक कदम उठाया।
पुलिस का खुलासा: पूरी थी सावधानी से की गई योजना
ग्रामीण जिला पुलिस प्रमुख बालासाहेब पाटिल ने बताया कि प्रभा ने हत्या के बाद सबूत छुपाने के लिए पूरी योजना बनाई थी। उसने घर के बाहर नाले के पास गड्ढा खुदवाकर शव को दफनाया। इस चालाकी की वजह से दो महीने तक किसी को इस वारदात की भनक तक नहीं लगी।
एक बार फिर सवाल उठे रिश्तों और कानून व्यवस्था पर
मेरठ, शिलांग, नासिक जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि अब परिवार और रिश्तों की डोर कमजोर पड़ती जा रही है। आम आदमी की जिंदगी में ऐसे भयावह और अमानवीय घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। साथ ही यह भी साफ हो गया है कि केवल शुरुआती जांच या एफआईआर दर्ज कर लेना पर्याप्त नहीं है। ठोस कार्रवाई और कड़ी सजा का अभाव इन घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है। देश में लगातार बढ़ती ऐसी घटनाओं ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – “देश में कितनी सोनम निकलेंगी?” जहां ‘सोनम’ जैसी महिलाएं, जो खुद अपराध की शिकार हैं, अब खुद अपराधी बन रही हैं। यह वक्त है कि समाज, प्रशासन और कानून व्यवस्था मिलकर इन घटनाओं की गहराई से जांच करें, ताकि परिवारों में सुरक्षा का माहौल वापस लौट सके और इंसानियत का सम्मान बना रहे।