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लाइव रेड में खतरनाक खूनी को पुलिस ने लिया हिरासत में तो पता चला 6 साल से हाथ नहीं लगाया फोन को, हत्या के जाल में फंसी पुलिस

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क्राइम न्यूज डेस्क !!! जयपुर से शरत कुमार, मोतिहारी से सचिन पांडे, जोधपुर से अशोक शर्मा और बाड़मेर से दिनेश बोहरा की रिपोर्ट। आपने कई बार पुलिस द्वारा गुप्त रूप से अपने लक्ष्य का पीछा करने और उन्हें गिरफ्तार करने की कहानियां सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको एक संदिग्ध को गिरफ्तार करने का लाइव फुटेज दिखाने जा रहे हैं, जैसा आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। गुप्त पुलिस ऑपरेशन का लाइव फ़ुटेज। ऑपरेशन ओल्ड मॉन्क की तस्वीरें।

तस्वीरें नेपाल बॉर्डर की हैं. नेपाल से सटे बिहार के रक्सौल इलाके का. इधर, नेपाल से करीब 15 सौ किलोमीटर दूर राजस्थान के जोधपुर से पुलिस टीम करीब छह साल से फरार चल रहे आरोपी की तलाश में पहुंची है। इस टीम को खबर मिली है कि उनका आरोपी बॉर्डर पर स्थित इस महादेव होटल में रुका हुआ है. लेकिन उसकी पहचान पता करना और उसे गिरफ्तार करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. कारण यह है कि अपराधी बहुत शातिर है. उस पर हत्या का जुर्म साबित हो चुका है. और दूसरा यह कि वह छह साल से लगातार पुलिस को चकमा दे रहा है और इन दिनों वह एक शातिर ड्रग नेटवर्क का सरगना है, जिसकी तलाश राजस्थान के साथ-साथ बिहार और झारखंड की पुलिस को भी है. और सुदूर इलाके में ऐसे अपराधी को पकड़ना कोई हंसी-मजाक की बात नहीं है. अगर उसे पुलिस के आने की जरा भी भनक लग जाए तो वह न सिर्फ फरार हो सकता है, बल्कि खुद को और दूसरों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

जस्थान पुलिस की यह टीम बॉर्डर पर स्थित इस बजट होटल में पहुंचने वाली पहली टीम है. पुलिसकर्मी सबसे पहले होटल के रिसेप्शन पर एक कमरा लेने के लिए कहकर अपनी बातचीत शुरू करते हैं, ताकि किसी को शक न हो कि वे किसी मिशन पर यहां पहुंचे हैं। लेकिन बात ही बात में उन्हें यहां रहकर अपने टारगेट के बारे में भी जानकारी मिल जाती है. संयोगवश, उन्हें होटल के बुकिंग रजिस्टर में अपने लक्ष्य का नाम भी मिल गया। लेकिन दिक्कत ये है कि जिस आदमी की वो तलाश कर रहे हैं उसका नाम वीराराम है, जबकि यहां रजिस्टर में दर्ज शख्स का नाम जगराम है. संयोग से वीरमाराम भी राजस्थान के बाडमेर से हैं और जिस जगाराम का नाम यहां दर्ज किया गया है, उनके नाम के साथ बाडमेर भी लिखा हुआ है। तो क्या ये महज़ एक संयोग है? या फिर इन पुलिसकर्मियों का निशाना अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी नाम से यहां रहना है?

खैर पुलिस टीम अमले के साथ छात्रावास में पहुंचती है जहां कई लोग रह रहे हैं। यहां दो-चार लोगों से पूछताछ के बाद आखिरकार पुलिस को जगराम भी उसी छात्रावास में सोता हुआ मिला। पहले तो जगराम ने अपना नाम जगराम बताया और पहचान के तौर पर जगराम के नाम का एक आईडी कार्ड दिया. लेकिन जब पुलिस ने उसे बताया कि वे बिरमाराम नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए राजस्थान से यहां आए हैं, तो जगराम घबरा गया और सच्चाई उगल दी। उसने खुलासा किया कि वह बीरमाराम है और हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पैरोल छोड़कर छह साल से भाग रहा है।

यानी जिस बिरमाराम को छह साल से राजस्थान पुलिस तलाश रही थी, वह आखिरकार रक्सौल के एक होटल के छात्रावास से गिरफ्तार हो गया, जिसके बारे में सोचना भी मुश्किल है. खैर, पुलिस पहले यह सुनिश्चित करती है कि पकड़ा गया व्यक्ति वास्तव में बीरमाराम है या नहीं और वहीं से अपने वरिष्ठों को फोन पर इसकी सूचना भी देती है। और इसके साथ ही राजस्थान पुलिस का एक बड़ा और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन आखिरकार ख़त्म हो गया. इस ऑपरेशन को पुलिस ने ऑपरेशन ओल्ड मॉन्क नाम दिया था।

लेकिन अब सवाल ये है कि बिरमाराम का पूरा इतिहास क्या है? आखिर किसके सिर पर हत्या का दोष? वो कब से डायरेक्टर कैन भागा पीर है अर की वै वो अरहाय तो आइए अब हम आपको बीरम राम की संपूर्ण जन्म कुंडली बताते हैं। आज से चौदह साल पहले यानी वर्ष 2010 में बिरमाराम ने बाड़मेर में एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. जिस व्यक्ति के साथ बिरमाराम ने अपनी नाबालिग पत्नी के साथ अवैध संबंध बनाए और उसी नाबालिग लड़की के साथ मिलकर बिरमाराम ने उसके पति धर्माराम की हत्या की साजिश रची. बिरमाराम ने धर्माराम की जान ले ली और उसका शव नहर में फेंक दिया।

इसके बाद बाड़मेर पुलिस ने न सिर्फ उसे गिरफ्तार किया, बल्कि सबूतों के आधार पर अदालत से सजा भी दिलाने में कामयाब रही. लेकिन कुछ साल जेल में बिताने के बाद बिरमाराम को पैरोल मिल गई. लेकिन बिररामम ने कानून का पालन किया और पैरोल समाप्त होने पर वापस जेल जाने के बजाय, पैरोल कूदकर भाग गया। ये बात करीब छह साल पुरानी है. और तब से लेकर अब तक राजस्थान की पुलिस बिरमाराम की तलाश कर रही थी. इसी बीच बिरमाराम ने राजस्थान से दूर झारखंड की राजधानी रांची में अपना ठिकाना बनाया और वहां ड्रग रैकेट में शामिल हो गया. अब बिरमाराम ने रांची से राजस्थान तक नशे की खेप पहुंचाना शुरू कर दिया.

खास बात यह है कि पिछले छह साल से बिरमाराम ने कभी भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया है. जब भी उसे जरूरत होती तो वह इंटरनेट कॉलिंग की मदद से अपने लोगों से बात करता था। अगर कोई किसी को मोबाइल फोन से कॉल करता है तो वह तुरंत सिम कार्ड तोड़कर फेंक देता है। और अपनी कार्यप्रणाली की बदौलत वह इतने लंबे समय तक पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा। लेकिन आख़िरकार जोधपुर पुलिस की एक टीम ने उसके बारे में जानकारी जुटाई और उसे ट्रैक करना शुरू कर दिया. पुलिस टीम ए


 

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