छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ईडी ने दाखिल की अंतिम चार्जशीट, 59 नए आरोपी शामिल
रायपुर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा कदम उठाया है। ईडी ने विशेष अदालत में अंतिम अभियोजन शिकायत दाखिल की, जिसमें 59 नए लोगों को आरोपी बनाया गया। इससे कुल आरोपियों की संख्या 81 हो गई है। जांच के अनुसार, यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। ईडी का अनुमान है कि इस अवैध धंधे से करीब तीन हजार करोड़ रुपये की गैरकानूनी कमाई हुई, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान पहुंचा।
इस घोटाले की जांच में एक संगठित सिंडिकेट का पता चला, जिसमें नौकरशाह, राजनीतिक नेता और निजी कारोबारी शामिल थे। सिंडिकेट ने शराब की नीति को कमजोर करके अवैध तरीकों से पैसा कमाया। उन्होंने चार मुख्य रास्तों का इस्तेमाल किया। पहला, शराब सप्लायर्स से अवैध कमीशन वसूला गया। इसके लिए शराब की आधिकारिक कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जाता था, जिससे राज्य का पैसा ही रिश्वत के रूप में इस्तेमाल होता था। दूसरा, बिना हिसाब की शराब बेची जाती थी। नकली होलोग्राम वाली बोतलें नकद में खरीदकर सरकारी दुकानों से बेची जातीं, जिससे कोई टैक्स या उत्पाद शुल्क नहीं जाता था। तीसरा, डिस्टिलरी वाले बाजार में हिस्सा बनाए रखने और लाइसेंस के लिए सालाना रिश्वत देते थे। चौथा, विदेशी शराब के लिए नई लाइसेंस श्रेणी बनाई गई, जिसमें सिंडिकेट को बड़ा मुनाफा मिलता था।
ईडी की शिकायत में बताया गया कि राज्य के उच्च प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर गहरी साजिश रची गई। सिंडिकेट का नेतृत्व कारोबारी अनवर ढेबर और उनके साथी कर रहे थे। कई निजी डिस्टिलरी कंपनियां जैसे छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज और भाटिया वाइन मर्चेंट्स ने जानबूझकर अवैध शराब बनाने और कमीशन देने में हिस्सा लिया। कुछ लोग नकदी इकट्ठा करने और नकली होलोग्राम सप्लाई करने में मदद करते थे।
आरोपियों में कई बड़े नाम हैं। नौकरशाहों में सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा, तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास और छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अरुण पति त्रिपाठी जैसे अधिकारी शामिल हैं। इन पर नीति बदलने और सिंडिकेट को संरक्षण देने का आरोप है। कई फील्ड स्तर के आबकारी अधिकारी भी आरोपी बने, जिन्हें अवैध बिक्री की छूट देने के बदले कमीशन मिलता था। राजनीतिक पक्ष में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल के नाम हैं। कवासी लखमा को मुख्य लाभार्थी माना गया, जबकि चैतन्य बघेल पर करीब एक हजार करोड़ रुपये की अवैध कमाई संभालने का आरोप है। मुख्यमंत्री कार्यालय की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया पर नकदी संभालने और अधिकारियों की नियुक्ति का काम सौंपा गया था।
ईडी ने अब तक नौ प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी, कवासी लखमा, चैतन्य बघेल और सौम्या चौरसिया शामिल हैं। कुछ जमानत पर हैं, तो कुछ हिरासत में। ईडी ने करीब 382 करोड़ रुपये की संपत्तियां भी जब्त की हैं, जिनमें होटल, जमीन और अन्य एसेट्स शामिल हैं। ये संपत्तियां आरोपियों और उनके परिवारों से जुड़ी हैं। राज्य की आर्थिक अपराध शाखा भी अलग से इसकी जांच कर रही है।
--आईएएनएस
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