चंडीगढ़: कोविड में माता-पिता की मौत, स्नेहालय में रहने वाले वंश तायल को मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
चंडीगढ़, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। चंडीगढ़ के 17 साल के वंश तायल को सोशल सर्विस में बेहतर काम करने पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया।
वंश तायल सोशल सर्विस के अलावा खेलों में भी भागीदारी करते हैं। इसके अलावा, वहां रह रहे बच्चों का भी अच्छी तरह से ध्यान रखते हैं। वंश इस कैटेगरी में भारत का पहला बच्चा है जिसे यह अवार्ड मिला है।
वंश के माता-पिता नहीं हैं। कोविड काल में उसके माता-पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद वंश का पालन-पोषण यूटी प्रशासन के स्नेहालय की ओर से किया गया है। वंश स्नेहालय में ही रहते हैं।
वंश ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि माता-पिता की मौत के बाद मैं सदमे में था। मेरे पास कोई इमोशनल सपोर्ट नहीं था। मैं तनाव में आ गया था और अकेला रहना शुरू कर दिया था। 2022 में मेरा एडमिशन स्नेहालय में हुआ। यहां मुझे बहुत सपोर्ट मिला।
उन्होंने कहा कि मैंने एक बच्चे को देखा जो खुद चल भी नहीं सकता था। मुझे उस बच्चे से प्रेरणा मिली। इसके बाद मैंने उस बच्चे की देखभाल शुरू की। उसे फिजियोथेरेपी दी और अन्य मदद की। मैंने परेशान बच्चों से बातचीत की और उनकी मदद की। मैंने पौधे लगाने जैसे अन्य सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई है।
वंश ने बताया कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे यह पुरस्कार मिलेगा। मैं आगे साइकोलॉजी में पढ़ाई करूंगा। मैं समाजसेवा करना जारी रखूंगा। उन्होंने कहा कि माता-पिता के जाने के बाद मेरे लिए उस ट्रामा से बाहर निकलना मुश्किल था।
उन्होंने बताया कि मैं चेस और क्रिकेट भी खेलता हूं। वंश ने कहा कि सरकार की यह बहुत अच्छी पहल है कि वह बच्चों को रहने के लिए अच्छे होम्स बनाती है, जहां बच्चे रह सकते हैं। प्रधानमंत्री ने सभी बच्चों से बातचीत की। मैंने उन्हें पूरी बात बताई। उन्होंने मेरी तारीफ की। प्रधानमंत्री से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा।
चिल्ड्रेन्स होम्स स्नेहालय में सुपरिटेंडेंट ललित अरोड़ा ने बताया कि वंश साल 2022 में आया था। कोरोना के दौरान उसकी माता और फिर उसके पिता का देहांत हो गया था। इसका पूरा खर्चा विभाग ने उठाया था और फिर उसे सारी सुविधाएं मिलनी शुरू हो गईं।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि वह प्रधानमंत्री से मिला और राष्ट्रपति ने उसे सम्मानित किया। इससे पहले एक लड़की को यह पुरस्कार मिला था, लेकिन वंश दूसरा बच्चा है जिसे यह पुरस्कार मिला है। आम तौर पर इस तरह की घटना के बाद बच्चे टूट जाते हैं, लेकिन इसका रेस्पॉन्स बेहद सकारात्मक रहा है।
बता दें कि राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से 18 वर्ष के बच्चों को दिया जाता है। देशभर से इस बार सिर्फ 20 बच्चों को चुना गया है। 2022 के बाद चंडीगढ़ के किसी बच्चे को इस बार नेशनल अवार्ड के लिए चुना गया।
--आईएएनएस
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