नरभक्षी, सीरियल किलर, खोपड़ी कलेक्टर, पीता था भेजा सूप... लखनऊ कोर्ट ने 25 साल पुराने केस में ठहराया दोषी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 25 साल पुराने डबल मर्डर मामले में खतरनाक अपराधी राजा कोलंदर को दोषी करार दिया गया है। राजा कोलंदर, जो अपने नरभक्षी कृत्यों और मानव खोपड़ी संग्रह के लिए कुख्यात है, को 2000 में हुए इस डबल मर्डर केस में सोमवार को लखनऊ की अदालत ने दोषी पाया। जज रोहित सिंह शुक्रवार को उसकी सजा का ऐलान करेंगे।
डबल मर्डर केस की गंभीरता
राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन और उसके साले बच्छराज कोल पर 22 साल के मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की किडनैपिंग और हत्या का आरोप है। यह केस 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा की ओर निकलने वाले दोनों व्यक्तियों के लापता होने और बाद में उनके शवों के प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों में मिलने के सिलसिले में दर्ज हुआ था। मनोज के पिता शिव हर्ष सिंह ने इस हत्या की शिकायत दर्ज कराई थी।
खौफनाक नरभक्षी कृत्य और खोपड़ी संग्रह
राजा कोलंदर को पहले भी एक हाईप्रोफाइल मामले में दोषी ठहराया जा चुका है। वह पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के आरोप में पहले से ही आजीवन कारावास काट रहा है। उस मामले में उसके फार्महाउस से 14 मानव खोपड़ियां बरामद हुई थीं। उसके नरभक्षी होने और मानव खोपड़ी संग्रहकर्ता होने की भयावह कथाएं सामने आईं, जिसमें वह अपने शिकार की खोपड़ियों से इंसान का भेजे का सूप बनाकर पीता था।
25 साल बाद शुरू हुई सुनवाई
मामले की जांच 21 मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल करने के बाद कानूनी जटिलताओं के कारण लंबित रही। सुनवाई 2013 में शुरू हुई, जिसके बाद अदालत ने विस्तृत जांच-पड़ताल की। मामले में कुल 12 गवाहों की गवाही ली गई, जिनमें सबसे अहम गवाह मनोज के चाचा शिव शंकर सिंह थे। उन्होंने गवाही में बताया कि यह अपराध पहले से पूरी तरह योजनाबद्ध था, जिसमें अपहरण, लूट और हत्या शामिल थी।
शिव शंकर ने आरोपी के घर से मनोज की एक भूरी कोट की पहचान भी की। इस सबूत ने मामले को और मजबूत बनाया।
घटना का घटनाक्रम
जानकारी के मुताबिक, मनोज कुमार और रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए निकले थे। वे चारबाग रेलवे स्टेशन के पास छह यात्रियों को लेकर गए, जिनमें एक महिला भी शामिल थी। अंतिम बार उनकी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में एक चाय की दुकान के पास मिली थी, जिसके बाद वे लापता हो गए। तीन दिन बाद नाका थाने में उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई, लेकिन तलाश के बाद भी उनका पता नहीं चला। अंततः उनके क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों में मिले।
आरोपी की पृष्ठभूमि
राजा कोलंदर का असली नाम राम निरंजन कोल है। वह प्रयागराज के शंकरगढ़ का निवासी है और नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में कर्मचारी था। उसके ऊपर पहले भी गंभीर अपराधों के आरोप हैं।
अब सजा की होगी घोषणा
अदालत ने राजा कोलंदर को इस डबल मर्डर मामले में दोषी पाया है। जज रोहित सिंह शुक्रवार को सजा की घोषणा करेंगे, जो इस कुख्यात अपराधी के लिए निर्णायक साबित होगी। इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है और यह मामला उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।