2030 तक भारत की आधी से ज़्यादा आबादी होगी मिडल क्लास, रिपोर्ट में उपभोग की आदतों में बड़े बदलाव का खुलासा
भारत तेजी से आर्थिक और सामाजिक रूप से बदल रहा है, और इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रतीक बनने जा रहा है देश का बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग। बुटीक सांस्कृतिक रणनीति फर्म फोक फ़्रीक्वेंसी द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत की आधी से ज़्यादा आबादी मध्यम वर्ग की हो जाएगी, जिससे उपभोग की प्रवृत्तियां जरूरत-आधारित से अनुभव-आधारित होती चली जाएंगी। यह निष्कर्ष भारत के सामाजिक और उपभोक्ता परिदृश्य में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जिसमें नई आकांक्षाएं, बदलती प्राथमिकताएं और सशक्त होती पहचान शामिल हैं।
कैसा है यह 'नया' मध्यम वर्ग?
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि नया मध्यम वर्ग पारंपरिक परिभाषाओं से अलग है। ये वे लोग हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही गरीबी से निकलकर एक नई आर्थिक स्थिति में पहुंचे हैं। इनमें से कई अपने परिवार में शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति हैं और जल्दी उम्र में ही औपचारिक नौकरियों में प्रवेश कर रहे हैं। इसका असर उनके सोचने, खर्च करने और उत्पादों व सेवाओं को देखने के नजरिए पर पड़ रहा है। ये उपभोक्ता केवल वस्तुओं की कीमत नहीं, बल्कि उनके अनुभव, गुणवत्ता और ब्रांड स्टोरी को महत्व दे रहे हैं।
अनुभव-आधारित उपभोग का बढ़ता चलन
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अब उपभोग की परिभाषा बदल रही है। लोग अब केवल ज़रूरत की चीजें नहीं खरीद रहे, बल्कि वे अनुभवात्मक सेवाओं और प्रीमियम लाइफस्टाइल की ओर बढ़ रहे हैं। उदाहरण के लिए:
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कैज़ुअल डाइनिंग में 49 प्रतिशत की वृद्धि
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फाइन डाइनिंग में 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी
इस बदलाव से साफ है कि खर्च अब सिर्फ ज़रूरत पूरी करने का माध्यम नहीं, बल्कि एक स्टेटमेंट बनता जा रहा है।
शिक्षा और डिजिटल इंडिया का असर
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत का उच्च शिक्षा परिदृश्य अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के चलते बड़ा बदलाव देख रहा है। सरकार का लक्ष्य 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (GER) तक पहुंचना है, जो कि 2018 में 26.3 प्रतिशत था। शिक्षा के इस विस्तार के साथ ही साक्षरता दर में भी सुधार हुआ है। 2011 में जहां 22.5 प्रतिशत आबादी निरक्षर थी, वहीं 2019 में यह संख्या घटकर 10.2 प्रतिशत रह गई। इसका सीधा प्रभाव यह है कि उपभोक्ता अब ब्रांड और प्रचार के प्रति अधिक जागरूक हैं। वे पारदर्शिता, जवाबदेही, और उत्पाद व सेवा की गुणवत्ता को प्राथमिकता देते हैं।
डिजिटल खपत: महानगरों से आगे निकला भारत
रिपोर्ट में एक और रोचक तथ्य सामने आया – भारत के 57 प्रतिशत इंटरनेट उपयोगकर्ता ग्रामीण और टियर-2+ शहरों में रहते हैं, लेकिन विज्ञापन और डिजिटल सामग्री अब भी महानगरों और अंग्रेज़ी भाषी दर्शकों को प्राथमिकता देती है। इससे AI एल्गोरिद्म में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति पूर्वाग्रह उभरकर सामने आता है, जिसके कारण बड़ी संख्या में संभावित उपभोक्ता नजरअंदाज हो जाते हैं। यह डिजिटल बाजार के लिए एक चेतावनी है कि यदि उन्हें वास्तव में भारत के दिल तक पहुंचना है, तो स्थानीय भाषाओं और स्थानीय संदर्भों को प्राथमिकता देनी होगी।
महिलाएं: भारत की नई आर्थिक शक्ति
रिपोर्ट में एक प्रमुख बिंदु यह भी था कि महिलाएं अब भारत की नई आर्थिक शक्ति बन रही हैं। आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं:
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देश के 50% से अधिक मेडिकल छात्र महिलाएं हैं
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14% व्यवसाय महिलाओं द्वारा संचालित हो रहे हैं
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सिंगल माल्ट व्हिस्की की बिक्री में 64% वृद्धि, जिसमें बड़ी भूमिका महिलाओं की है
रिपोर्ट के अनुसार, यदि कोई ब्रांड महिलाओं के लिए बने उत्पादों को केवल 'महिलाओं के अनुकूल' बनाकर पेश करता है, तो वह लंबे समय तक सफल नहीं होगा। महिलाएं विशिष्ट, आरामदायक और प्रभावशाली उत्पाद चाहती हैं जो उनके अनुभव को समृद्ध करें।
जनरेशन Z और अल्फा: मूल्यों की पीढ़ी
आज की जनरेशन Z और अल्फा, जो 25 वर्ष से कम आयु वर्ग की युवा पीढ़ी है, उपभोग के क्षेत्र में बेहद प्रभावशाली भूमिका निभा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार:
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93% युवा पारिवारिक यात्रा में निर्णयकर्ता की भूमिका निभाते हैं
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ये युवा ब्रांड को उनके मूल्यों, समावेशिता और स्थिरता के आधार पर आंकते हैं
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सोशल मीडिया और वैश्विक संस्कृति के संपर्क से वे अत्यधिक पश्चिमीकृत दृष्टिकोण अपना रहे हैं
इन युवाओं में एक खास विशेषता यह है कि वे भारत की पारंपरिक प्रथाओं को भी सवालों के घेरे में लाते हैं, यदि उन्हें लगता है कि वे असंवेदनशील या उत्पीड़नकारी हैं।
नई संस्कृति: जवाबदेही और ब्रांड-नीति पर असर
फोक फ़्रीक्वेंसी की संस्थापक और मानवविज्ञानी गायत्री सप्रू ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा:
"मैंने खुद देखा है कि संस्कृति, डेटा और व्यावसायिक रणनीति के बीच कितना बड़ा अंतर है। आज के कई विश्लेषण केवल सामान्य ज्ञान को दोहरा रहे हैं, लेकिन यह रिपोर्ट गहराई से बनी है और बदलाव की सटीक दिशा दिखा रही है।"
उनके अनुसार आज का भारतीय उपभोक्ता सशक्त, जागरूक और मूल्य-संलग्न है। वे अब केवल गुणवत्ता नहीं, ब्रांड की कहानी, उसका सामाजिक दायित्व और व्यवहार भी देखते हैं। ब्रांडों के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है – यदि वे भविष्य में प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं, तो उन्हें संवेदनशील, पारदर्शी और मूल्य-आधारित दृष्टिकोण अपनाना होगा।
निष्कर्ष: बदलाव की ओर बढ़ता भारत
2030 की ओर बढ़ता भारत केवल तकनीकी या आर्थिक शक्ति नहीं बनेगा, बल्कि एक सांस्कृतिक, सामाजिक और उपभोक्ता परिवर्तन की मिसाल भी पेश करेगा।
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बढ़ता मध्यम वर्ग
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नई सोच और अनुभव-आधारित उपभोग
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महिला सशक्तिकरण
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डिजिटल विविधता की मांग
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और जागरूक युवा पीढ़ी
ये सभी तत्व मिलकर भारत को एक नई दिशा में ले जा रहे हैं। ब्रांड, नीति-निर्माता और समाज यदि इस बदलाव को समय रहते समझ लें, तो यह परिवर्तन एक सुनहरा अवसर बन सकता है।