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बीआरओ प्रोजेक्ट हिमांक ने लेह में मनाया 41वां स्थापना दिवस, दुनिया की सबसे ऊंची सड़कों का रखवाला

लेह, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट हिमांक ने गुरुवार को लेह में अपने मुख्यालय में 41वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया।
बीआरओ प्रोजेक्ट हिमांक ने लेह में मनाया 41वां स्थापना दिवस, दुनिया की सबसे ऊंची सड़कों का रखवाला

लेह, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट हिमांक ने गुरुवार को लेह में अपने मुख्यालय में 41वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया।

4 दिसंबर 1985 को शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट लद्दाख की बर्फीली ऊंचाइयों में सड़कें बनाने और उन्हें खुला रखने का पर्याय बन चुका है। लोग प्यार से इसे “माउंटेन टैमर्स” कहते हैं। दुनिया की सबसे मुश्किल जगहों पर 11 हजार से 19 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर काम करने वाला यह प्रोजेक्ट भारतीय सेना की ताकत और दूरदराज के गांवों के विकास का मजबूत आधार बना हुआ है।

पिछले एक साल में प्रोजेक्ट हिमांक ने कमाल का काम किया है। चार नई सड़कों का निर्माण पूरा किया, जिनकी कुल लंबाई 161 किलोमीटर है। इसके साथ ही 941 मीटर लंबाई के 22 बड़े पुल भी बनकर तैयार हुए। इन सड़कों और पुलों से हानले, चुमार, डेमचोक, हॉट स्प्रिंग और दौलत बेग ओल्डी जैसे महत्वपूर्ण सीमाई इलाकों तक साल भर पहुंच आसान हो गई है। अब सेना के काफिले और आम लोग भी तेजी से आ जा सकते हैं।

प्रोजेक्ट हिमांक सिर्फ सड़कें ही नहीं बनाता, बल्कि लोगों की मदद भी करता है। ऊंचे दर्रों पर मेडिकल और डेंटल कैंप लगाए जाते हैं। उमलिंग ला, खारदुंग ला, चांग ला और तांगलांग ला जैसी जगहों पर बीआरओ कैफे और ऑक्सीजन सपोर्ट सेंटर खोले गए हैं, जिनसे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को बहुत राहत मिलती है। जब भी बाढ़ आई, भूस्खलन हुआ या सड़क बह गई, हिमांक की टीमें सबसे पहले पहुंचीं और कुछ ही घंटों में रास्ता फिर से खोल दिया।

सर्दियों में लद्दाख की लाइफलाइन लेह एयरपोर्ट को खुला रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। हिमांक की टीमें रात दो बजे से बर्फ हटाना शुरू कर देती हैं ताकि सुबह की पहली फ्लाइट समय पर उतर सके। नेशनल हाईवे-3 और डीबीओ, गलवान, हॉट स्प्रिंग और हानले जैसे अग्रिम इलाकों तक जाने वाली सड़कों पर दिन-रात बर्फ हटाई जाती है, जिससे कड़कड़ाती ठंड में भी सेना और आम लोगों का आना-जाना नहीं रुकता।

प्रोजेक्ट अपने मजदूरों का भी पूरा खयाल रखता है। ठंड से बचाने के लिए इंसुलेटेड शेल्टर बनाए गए हैं, गर्म पानी और साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था की गई है और बेहतरीन सर्दियों के कपड़े दिए जा रहे हैं। इन सब सुविधाओं से मजदूर ऊंचाई और ठंड में भी सुरक्षित और आराम से काम कर पा रहे हैं।

41वें स्थापना दिवस पर प्रोजेक्ट हिमांक ने फिर से संकल्प लिया कि वह इसी समर्पण और तेजी से देश की सीमाओं को मजबूत बनाता रहेगा और लद्दाख के लोगों की जिंदगी को और आसान बनाएगा। लेह में हुए शानदार समारोह में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के चेहरों पर गर्व साफ दिखाई दिया।

--आईएएनएस

एसएचके/डीएससी

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