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बिपिन रावत: देश के पहले सीडीएस, जिन्होंने दुनिया को भारतीय सेना की ताकत का दिखाया दम

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। देश आज भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को याद कर रहा है। सोमवार, 8 दिसंबर को, अदम्य साहस के प्रतीक जनरल बिपिन रावत की पुण्यतिथि है। 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल रावत की मृत्यु हो गई थी।
बिपिन रावत: देश के पहले सीडीएस, जिन्होंने दुनिया को भारतीय सेना की ताकत का दिखाया दम

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। देश आज भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को याद कर रहा है। सोमवार, 8 दिसंबर को, अदम्य साहस के प्रतीक जनरल बिपिन रावत की पुण्यतिथि है। 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल रावत की मृत्यु हो गई थी।

बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में हुआ था। बिपिन रावत के परिवार की कई पीढ़ियां सेना में रह चुकी हैं।

उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके पिता ने बिपिन रावत की पढ़ाई भी उसी तरह कराई ताकि वो सेना में जा सकें। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के बाद उनकी पढ़ाई देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से हुई। सेना में उनको 11वीं गोरखा रायफल्स की 5वीं बटालियन में दिसंबर 1978 में नियुक्ति मिली और जनवरी 1979 में उनको मिजोरम भेजा गया।

बिपिन रावत जब सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए तो 1 जनवरी 2020 को उन्हें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के रूप में नियुक्त किया गया था। यह देश के सैन्य इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण सुधारों में से एक था। इस पद का सृजन सशस्त्र बलों को और अधिक सशक्त करने के उद्देश्य से किया गया था। 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल रावत की मृत्यु हो गई थी। जनरल बिपिन रावत गोरखा रेजिमेंट से तरक्की पाते हुए भारतीय सेना के जनरल बने थे।

2017 में जब डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा था, तब जनरल रावत भारतीय सेना का नेतृत्व कर रहे थे। इसी तरह से 2020 में गलवान घाटी में चीनी सेना के हमलावर तेवर से वही निपटे थे। बिपिन रावत 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक भारतीय सेना के प्रमुख रहे।

अपने चार दशकों के बेहद बहादुरी भरे कार्यकाल में जनरल रावत ने कई महत्वपूर्ण मिशनों का नेतृत्व किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के सोपोर में सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया। बतौर थल सेना प्रमुख उनकी लीडरशिप में पीओके के आतंकवादी समूहों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी।

जनरल रावत ने एक मेजर जनरल के रूप में उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी, जहां उनका प्रदर्शन बेहतरीन था। बतौर कोर कमांडर उनकी देखरेख में म्यांमार में भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेज द्वारा आतंकी समूहों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की गई थी। यह भारत की सामरिक संस्कृति के संयम से मुखरता में परिवर्तन की शुरुआत थी। बिपिन रावत इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में थे। 16 दिसंबर 1978 को उन्हें 11 गोरखा रायफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला था।

--आईएएनएस

एमएस/डीकेपी

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