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'नौ महीने जिसने पेट में रखा, वही बनी हैवान' बेंगलुरु में डेढ़ महीने के नवजात बेटे को मां ने उबलते पानी में डालकर दी दर्दनाक मौत 

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बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक 27 वर्षीय महिला ने अपने ही नवजात शिशु को उबलते पानी में डालकर मार डाला। यह घटना सोमवार को शहर के विश्वेश्वरपुरा इलाके में घटी। आरोपी महिला की पहचान राधा के रूप में हुई है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

क्या है पूरा मामला?

पुलिस के अनुसार, राधा कुछ समय से अपने मायके में अकेली रह रही थी, क्योंकि उसका पति बेरोजगार और शराबी था और उससे संपर्क पूरी तरह बंद कर चुका था। बताया जा रहा है कि राधा का बच्चा समय से पहले जन्मा था और शारीरिक रूप से कमजोर था। नवजात दूध नहीं पी रहा था और लगातार रो रहा था, जिससे महिला परेशान थी। माना जा रहा है कि राधा पोस्टपार्टम डिप्रेशन (प्रसवोत्तर अवसाद) से जूझ रही थी और मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसी हालत में उसने अपने नवजात को एक बड़े बर्तन में उबलते पानी में डाल दिया, जिससे बच्चे की मौके पर ही जलकर दर्दनाक मौत हो गई।

मानसिक स्थिति बनी कारण?

पुलिस के मुताबिक, राधा मानसिक रूप से बेहद तनाव में थी और संभवत: गंभीर अवसाद की शिकार थी। अधिकारियों का कहना है कि राधा को लगता था कि बच्चा "सामान्य नहीं है" और वह बार-बार चीखकर रो रहा था। इसी भ्रम और मानसिक अस्थिरता के कारण उसने यह खौफनाक कदम उठाया।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या होता है?

पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक बीमारी है जो प्रसव के बाद महिलाओं में देखी जाती है। इसमें महिला लगातार उदासी, चिड़चिड़ापन, थकान और खुद को अयोग्य महसूस करती है। यदि समय पर इलाज न मिले तो यह गंभीर मानसिक विकृति में बदल सकती है, और कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है — जैसे इस मामले में हुआ।

पड़ोसियों ने दी पुलिस को सूचना

घटना की जानकारी तब मिली जब पास में रहने वाले पड़ोसियों ने बच्चे की चीखें सुनी और कुछ असामान्य होने की आशंका में पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्हें घर में उबलते पानी वाला बर्तन और बुरी तरह जली हुई शिशु की लाश मिली। राधा घटनास्थल पर ही बैठी हुई थी और कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कह पा रही थी। पुलिस ने तुरंत उसे हिरासत में लिया और मानसिक जांच के लिए मेडिकल टीम को बुलाया।

मामला दर्ज, जांच जारी

बेंगलुरु साउथ डिवीजन के पुलिस अधिकारी ने बताया कि महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मामले की संवेदनशील जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि यदि राधा की मानसिक हालत गंभीर साबित होती है, तो चिकित्सा और कानूनी दोनों दृष्टिकोण से विशेष कदम उठाए जाएंगे।

परिवार की हालत

परिवार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। राधा के माता-पिता इस घटना से स्तब्ध हैं। पड़ोसियों के अनुसार, राधा शुरू से ही शांत स्वभाव की थी, लेकिन गर्भावस्था के दौरान वह बहुत तनाव में दिखती थी। पति का साथ न मिलना और सामाजिक समर्थन का अभाव शायद इस पूरे घटनाक्रम का एक बड़ा कारण रहा।

समाज के लिए चेतावनी

यह घटना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। भारत में मानसिक स्वास्थ्य आज भी उपेक्षित क्षेत्र है, विशेषकर मातृत्व से जुड़ी समस्याओं में। महिलाओं की मानसिक स्थिति को अक्सर "भावुकता" या "नाटक" कहकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन यह मामला दर्शाता है कि समय पर मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न देने की कीमत एक नवजात की जान हो सकती है।

क्या करना चाहिए?

विशेषज्ञों के अनुसार:

  • प्रसव के बाद हर महिला की मानसिक स्थिति की जांच अनिवार्य होनी चाहिए

  • परिवार और समाज को चाहिए कि महिला को भावनात्मक सहयोग दें

  • पति या ससुरालवालों की गैरहाजिरी में महिलाओं को अकेला न छोड़ा जाए

  • मेडिकल टीम को नियमित फॉलो-अप करना चाहिए

राधा का यह कृत्य कानूनन एक जघन्य अपराध है, लेकिन इसके पीछे छिपी मानसिक बीमारी, परिवारिक टूटन, और सामाजिक उदासीनता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक मासूम की जान चली गई, लेकिन अगर इस घटना से हम सीख लें, तो शायद किसी और घर में ऐसी त्रासदी दोहराने से रोकी जा सके। यह सिर्फ एक महिला की नहीं, पूरे समाज की असफलता है।

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