Samachar Nama
×

बस्तर ओलंपिक: बंदूक छोड़ने के बाद बदला जीवन, पूर्व नक्सलियों के चेहरों पर दिखा संतोष

जगदलपुर, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलंपिक 2025 के समापन समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पहुंचने को लेकर व्यापक तैयारियां की गई हैं। यह बस्तर ओलंपिक का दूसरा आयोजन है, जिसमें इस बार कुल 761 ऐसे खिलाड़ी शामिल हुए हैं, जो या तो नक्सल हिंसा से प्रभावित रहे हैं या फिर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़े हैं।
बस्तर ओलंपिक: बंदूक छोड़ने के बाद बदला जीवन, पूर्व नक्सलियों के चेहरों पर दिखा संतोष

जगदलपुर, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलंपिक 2025 के समापन समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पहुंचने को लेकर व्यापक तैयारियां की गई हैं। यह बस्तर ओलंपिक का दूसरा आयोजन है, जिसमें इस बार कुल 761 ऐसे खिलाड़ी शामिल हुए हैं, जो या तो नक्सल हिंसा से प्रभावित रहे हैं या फिर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़े हैं।

खेल के माध्यम से पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण की इस पहल को बस्तर क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।

बस्तर ओलंपिक में भाग ले रहे सरेंडर कर चुके नक्सली सुकलाल ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि मुख्यधारा से जुड़ने के बाद खेलों में हिस्सा लेना उनके लिए बेहद खुशी का क्षण है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अब सभी सुविधाएं मिल रही हैं। करीब 20 साल तक नक्सल संगठन में रहने के दौरान उनके हाथों में केवल बंदूक रही और जंगलों में भटकना पड़ा, लेकिन आत्मसमर्पण के बाद अब उनके हाथों में हॉकी और बैडमिंटन जैसे खेल उपकरण हैं। पुनर्वास से जुड़े सभी पूर्व नक्सली खिलाड़ियों के चेहरों पर अलग ही खुशी और आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है।

सुकलाल ने बताया कि वे अबूझमाड़ के नाम से पहचाने जाने वाले संगठन से जुड़े थे, जहां वे डीबीसीएम के तौर पर डॉक्टर की भूमिका में काम करते थे और ‘डॉक्टर सुकलाल’ के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने 20 अगस्त 2025 को पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। मुख्यधारा में लौटने के बाद उन्हें जीवन में बड़ा बदलाव महसूस हो रहा है।

जंगल और शहर के जीवन में भारी अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक 2025 में भाग लेना उनके लिए बेहद सुखद अनुभव है। वे वॉलीबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं और अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। जीत-हार को अलग रखते हुए उन्होंने कहा कि पहले बंदूक लेकर जंगल, नदी-नाले और पहाड़ों में भटकना पड़ता था, लेकिन अब उस जीवन को त्यागकर खेल के मैदान में उतरना उनके और उनके साथियों के लिए नई शुरुआत है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात को लेकर भी उन्होंने खुशी जताई।

25 जुलाई 2020 को आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली गंगा वट्टी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि वे 1946 में नक्सल संगठन से जुड़े थे और उस दौरान सामाजिक जुड़ाव काफी कम रहा। बस्तर ओलंपिक से जुड़ना उन्हें अच्छा लग रहा है और उनका चयन परेड के लिए हुआ है। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी ने भी आत्मसमर्पण किया है और इस खेल आयोजन में भाग ले रही हैं। गंगा वट्टी ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को उन्होंने अब तक केवल तस्वीरों में देखा है, लेकिन इस आयोजन के जरिए उन्हें सामने से देखने का अवसर मिलेगा।

नक्सल हिंसा से प्रभावित किसान ने बताया कि प्रेशर आईईडी की चपेट में आने से उनका पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे उन्हें शरीर का एक अंग खोना पड़ा और अब वे कृत्रिम अंग के सहारे जीवन जी रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अपील की कि बस्तर को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाया जाए, ताकि यहां के युवा पढ़-लिखकर आगे बढ़ सकें और एक सुरक्षित व उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकें। बस्तर ओलंपिक का यह आयोजन खेल के साथ-साथ शांति, पुनर्वास और विकास का संदेश दे रहा है।

--आईएएनएस

एएसएच/वीसी

Share this story

Tags