अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर: यहां धनुष-बाण लिए भगवान शिव और तलवार लिए मां पार्वती की होती है पूजा
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। भगवान शिव और मां पार्वती के संयुक्त मंदिर देश के अलग-अलग राज्यों में मिल जाते हैं, और हर मंदिर में मां पार्वती और भगवान शिव का सौम्य अवतार देखने को मिलता है। वहीं, दक्षिण भारत के केरल में शिव-पार्वती का ऐसा मंदिर है, जहां दोनों की उग्र और अस्त्र-शस्त्र के साथ संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। हम बात कर रहे हैं अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर की, जिसे अनिक्कट्टिलम्मक्षेत्रम के नाम से भी जाना जाता है।
केरल राज्य में पथानामथिट्टा जिले के मालाप्पल्ली शहर के पास अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर है। मंदिर में दूर-दूर से भक्त मां पार्वती और भगवान शिव के उग्र रूप के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर में आदिपराशक्ति मां पार्वती को शक्ति के रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव शिकारी (किरात) के रूप में विराजमान हैं। भगवान शिव के हाथों में धनुष और बाण हैं, जबकि मां पार्वती के हाथों में तलवार है। मां पार्वती को प्रकृति का रूप माना जाता है, जो हमेशा सरल और सौम्य रही हैं।
यह मंदिर केरल में अपनी तरह का सबसे दुर्लभ मंदिर है। भक्तों का मानना है कि मां पार्वती ने यह रूप अपने भक्तों के लिए धारण किया था। मां पार्वती भक्तों की रक्षा बच्चों की तरह करती हैं और उनकी हर मनोकामना को पूरी करती हैं।
मंदिर के प्रांगण में शिव के भद्र और नागराज का मंदिर भी बना है। मंदिर एक झोपड़ीनुमा मंदिर है, जिसमें लाल रंग की टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की वास्तुकला देखने में बौद्ध मंदिरों के जैसी दिखती है। मणिमाला नदी के किनारे स्थित इस मंदिर को 1600 साल पुराना बताया जाता है, जिसका निर्माण एडापल्ली राजवंश के आने के बाद हुआ था।
मंदिर में मां पार्वती और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आठ दिन की पोंगल पूजा का आयोजन होता है, जिसमें भक्त मां पार्वती और भगवान शिव को खीर का भोग लगाते हैं। सदियों से ये केरल के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों के तौर पर मनाया जा रहा है। यह त्योहार मलयालम महीने मकरम-कुंभम (फरवरी-मार्च) के महीने में मनाया जाता है। पोंगल को सिर्फ महिलाओं का त्योहार माना जाता है क्योंकि मंदिर के गर्भगृह में खासतौर पर महिलाओं को ही पूजा करते देखा गया है, जो मां पार्वती से अपने परिवार के कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करती हैं।
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