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आखिर क्यों पुलिसवाले ने SDM साहब पर ही बरसा दी लाठियां... और फिर जो हुआ उसके बाद

भारत बंद के दौरान बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसी घटना घटी, जिसकी चर्चा अब सोशल मीडिया पर हो रही है. दरअसल, भारत बंद को रोकने के लिए यहां ग्राउंड जीरो पर पुलिस अधिकारी मौजूद थे. इस मौके पर एसडीएम (SDM) भी ​​मौजूद रहे. इस दौरान भीड़ बेकाबू हो गई.....
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क्राइम न्यूज डेस्क !!! भारत बंद के दौरान बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसी घटना घटी, जिसकी चर्चा अब सोशल मीडिया पर हो रही है. दरअसल, भारत बंद को रोकने के लिए यहां ग्राउंड जीरो पर पुलिस अधिकारी मौजूद थे. इस मौके पर एसडीएम (SDM) भी ​​मौजूद रहे. इस दौरान भीड़ बेकाबू हो गई. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया. लाठीचार्ज करना पड़ा. इस दौरान एसडीएम साहब भीड़ में मौजूद थे. एक सिपाही ने उन्हें नहीं पहचाना और भीड़ के साथ उन पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया. मौके पर मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने जब ये देखा तो हैरान रह गए. फिर क्या था, मौजूद पुलिसकर्मियों ने तुरंत पुलिसवाले के डंडे के सामने हाथ रख दिया और उसे रोक दिया. इसके बाद अधिकारियों ने सिपाही को डांटा और कहा कि ये एसडीएम साहब हैं. यह सुनकर सिपाही की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

जवान ने एसडीएम से माफी मांगी

इस घटना से पुलिस और प्रशासन के बीच कुछ देर के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई. एसडीएम साहब भी गुस्से में थे. जवान ने एसडीएम से माफी मांगी और कहा कि सर गलती हो गई। बताया जा रहा है कि भारत बंद के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी डीजे और ठेला लेकर डाकबंगला चौराहे पर पहुंचे. प्रदर्शनकारियों की भीड़ को रोकने के लिए पुलिस जवानों ने लाठियां चलानी शुरू कर दीं. इसी दौरान एसडीएम साहब ठेले पर जनरेटर बंद कर रहे थे, तभी एक पुलिसकर्मी पीछे से आया और उसने एसडीएम साहब को डंडे से दो बार मारा.

भारत क्यों बंद है?

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण में क्रीमी लेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने का फैसला सुनाया था, जिसका दलित-आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं। अब इस फैसले के खिलाफ नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड ट्राइबल ऑर्गेनाइजेशन नाम के संगठन ने 14 घंटे के भारत बंद का ऐलान किया है. इसे लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. खासकर बिहार और राजस्थान में इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है.

एससी-एसटी वर्ग को नौकरियों में सब-कैटेगरी में आरक्षण देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में काफी समय से मामला लंबित था. SC ने 1 अगस्त को फैसला सुनाया. अदालत ने 2004 के अपने पहले के फैसले को पलट दिया और पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2006 और तमिलनाडु अरुंथथियार अधिनियम पर अपनी मुहर लगा दी और कोटा के भीतर कोटा (उप-श्रेणियों में आरक्षण) को मंजूरी दे दी।

संगठन मांग कर रहे हैं कि एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर एक नया कानून पारित किया जाए और सुप्रीम कोर्ट अपने हालिया कोटा फैसले को वापस ले या उस पर पुनर्विचार करे। अतिक्रमण बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि यह फैसला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. भारत बंद को कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी आंदोलन का समर्थन किया है.

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