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130 साल पहले लिखा गया इतिहास, पहली बार लोगों ने फ्रांस में टिकट खरीद कर देखी थी फिल्म

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। 1895 के 28 दिसंबर की शाम फ्रांस की राजधानी पेरिस के लिए सामान्य नहीं थी। इसी दिन ल्यूमियर ब्रदर्स—ऑगस्त ल्यूमियर और लुई ल्यूमियर—ने दुनिया के सामने पहली बार आम दर्शकों के लिए सशुल्क फिल्म प्रदर्शन किया। यह ऐतिहासिक आयोजन पेरिस के ग्रैंड कैफे के तहखाने स्थित 'सलोन इंडिएन डु ग्रैंड कैफे' में हुआ। इतिहासकार इस तारीख को व्यापक रूप से आधुनिक सिनेमा की औपचारिक शुरुआत मानते हैं।
130 साल पहले लिखा गया इतिहास, पहली बार लोगों ने फ्रांस में टिकट खरीद कर देखी थी फिल्म

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। 1895 के 28 दिसंबर की शाम फ्रांस की राजधानी पेरिस के लिए सामान्य नहीं थी। इसी दिन ल्यूमियर ब्रदर्स—ऑगस्त ल्यूमियर और लुई ल्यूमियर—ने दुनिया के सामने पहली बार आम दर्शकों के लिए सशुल्क फिल्म प्रदर्शन किया। यह ऐतिहासिक आयोजन पेरिस के ग्रैंड कैफे के तहखाने स्थित 'सलोन इंडिएन डु ग्रैंड कैफे' में हुआ। इतिहासकार इस तारीख को व्यापक रूप से आधुनिक सिनेमा की औपचारिक शुरुआत मानते हैं।

ल्यूमियर ब्रदर्स ने इस प्रदर्शन में अपनी क्रांतिकारी मशीन सिनेमैटोग्राफ का उपयोग किया, जो कैमरा, फिल्म प्रोसेसर और प्रोजेक्टर—तीनों का काम एक साथ कर सकती थी। उस शाम लगभग 33 दर्शकों ने टिकट लेकर छोटे-छोटे चलचित्र देखे। इनमें सबसे प्रसिद्ध लियोन स्थित ल्यूमियर फैक्ट्री से निकलते मजदूरों को दिखाती फिल्म थी। जिसे अक्सर दुनिया की पहली मोशन पिक्चर प्रदर्शनों में गिना जाता है। इसके अलावा ट्रेन के स्टेशन पर आने का दृश्य और रोजमर्रा के जीवन से जुड़े कई छोटे दृश्य दिखाए गए, जिन्होंने दर्शकों को हैरान कर दिया।

सिनेमा इतिहास पर लिखी प्रसिद्ध पुस्तक “ द ऑक्सफोर्ड हिस्ट्री ऑफ वर्ल्ड सिनेमा ” में 28 दिसंबर 1895 की इस तारीख का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। पुस्तक के अनुसार, यही वह क्षण था जब चलचित्र प्रयोगशाला से निकलकर सार्वजनिक मनोरंजन का माध्यम बना। इसी तरह, जॉर्ज सादूल की चर्चित किताब “हिस्ट्री जनरल डु सिनेमा ” भी इस दिन को सिनेमा के सामाजिक जन्म के रूप में रेखांकित करती है, जहां फिल्म पहली बार व्यावसायिक और सार्वजनिक अनुभव बनी।

हालांकि ल्यूमियर ब्रदर्स से पहले भी चलती तस्वीरों पर प्रयोग हो चुके थे, लेकिन 28 दिसंबर 1895 का प्रदर्शन इसलिए ऐतिहासिक माना जाता है क्योंकि यह नियमित टिकट लेकर आम जनता के सामने आयोजित किया गया था। यही कारण है कि फिल्म इतिहास में इस तारीख को मील का पत्थर माना जाता है।

आज, जब सिनेमा डिजिटल तकनीक, वीएफएक्स और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच चुका है, तब भी 28 दिसंबर 1895 की वह शाम हमें याद दिलाती है कि आधुनिक सिनेमा की यात्रा एक छोटे से कैफे के तहखाने से शुरू हुई थी—जहां कुछ मिनटों की चलती तस्वीरों ने पूरी दुनिया की कल्पना को हमेशा के लिए बदल दिया।

--आईएएनएस

केआर/

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