एक कमरे का मकान, बेड में पति पत्नी समेत पांच लाशें... केरल के इस घर में हुई खौफनाक वारदात

केरल के पलक्कड़ जिले के नेनमारा क्षेत्र में हुआ दिल दहला देने वाला दोहरा हत्याकांड सिर्फ दो लोगों की जान नहीं ले गया, बल्कि एक पूरे परिवार की जड़ें हिला गया। 55 वर्षीय सुधाकरन और उनकी 75 वर्षीय मां लक्ष्मी की चाकू से गोदकर हत्या उस व्यक्ति ने की, जो पहले ही उसी परिवार की महिला सदस्य – सुधाकरन की पहली पत्नी सजिथा – की हत्या के मामले में जेल जा चुका था और हाल ही में जमानत पर बाहर आया था।
एक ही हत्यारा, तीन जानें – परिवार की त्रासदी
इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने वाला चेंथमारा, सुधाकरन का ही पड़ोसी था। साल 2019 में चेंथमारा ने सजिथा को मार डाला था, और अब उसने सुधाकरन और उनकी वृद्ध मां को भी बेरहमी से मार दिया। सिर्फ बेटियां अखिला और अथुल्या ही बच पाईं, जो उस वक्त घर में नहीं थीं।
आज दोनों बेटियां अकेली हैं – मां, पिता और दादी तीनों को एक ही हत्यारे ने मार डाला।
पुलिस की लापरवाही बनी मौत की वजह?
बेटियों का आरोप है कि उन्होंने पहले ही चेंथमारा के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि "हमें डर है कि वह फिर कोई वारदात कर सकता है। उसे हमारे पड़ोस से हटाया जाए।" लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसका नतीजा सोमवार को दोहरी हत्या के रूप में सामने आया।
हत्या की वजह: जादू-टोना का वहम और बदले की आग
चेंथमारा ने पुलिस को बताया कि उसे संदेह था कि सुधाकरन के परिवार ने जादू-टोना कर उसकी पत्नी को उससे दूर कर दिया। इसी वहम के चलते वह मानसिक रूप से बदले की भावना से भरा हुआ था। उसने पहले ही हत्या के लिए एक विशेष हथियार खरीदा और एक पूर्व-नियोजित योजना के तहत वारदात को अंजाम दिया।
पुलिस की चतुराई से पकड़ा गया आरोपी
वारदात के बाद चेंथमारा जंगल में जाकर छिप गया था। पुलिस ने चालाकी से जाल बिछाया – उन्होंने घोषणा की कि खोज बंद कर दी गई है। यह सुनकर भूखा-प्यासा चेंथमारा खाने के लिए घर लौटा, जहां पुलिस ने उसे धर दबोचा। अब वह हिरासत में है और हत्या स्वीकार कर चुका है।
बेटियों की चीख: "हमें न्याय चाहिए"
अखिला और अथुल्या ने मीडिया से कहा,
"उस हत्यारे ने पहले हमारी मां को मारा, फिर हमारे पिता और दादी को भी। वह जेल जाएगा और फिर बाहर आ जाएगा? क्या कोई और बचेगा जिसे वह मारे?"
उन्होंने चेंथमारा को फांसी देने की मांग की है, ताकि वह फिर कभी किसी परिवार को तबाह न कर सके।
क्या कहती है यह घटना समाज से?
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यह मामला बताता है कि जमानत पर रिहा खतरनाक अपराधियों की निगरानी नहीं की जाती।
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मानसिक स्वास्थ्य, अंधविश्वास, और बदले की भावना मिलकर कितनी भयानक त्रासदी को जन्म दे सकते हैं।
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पुलिस की अनदेखी कितनी बड़ी कीमत दिला सकती है – एक पूरा परिवार उजड़ गया।
न्याय के लिए अब पूरा गांव आवाज़ उठा रहा है
स्थानीय लोग भी पुलिस थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। अब सिर्फ अखिला और अथुल्या ही नहीं, बल्कि पूरा समाज कह रहा है –
"अब नहीं बख्शा जाना चाहिए... फांसी होनी चाहिए!"